आर एस एस प्रमुख ऋषिकेश में
आर एस एस सरसंघचालक मोहन भागवत पहुंचे ऋषिकेश , ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन पहुंचकर कथा में की शिरकत चिदानंद मुनि के 72 वें जन्मदिन पर दी बधाई हरिद्वार सहित आसपास के संत रहे मौजूद
रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल
ऋषिकेश , आर एस एस प्रमुख सरसंघचालक मोहन भागवत आज ऋषिकेश के दौरे पर , परमार्थ निकेतन में चल रही है दिव्य कथा और परमार्थ निकेतन के परमाअध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि से मुलाकात करके उनके 72 वे जन्मदिन की बधाई दी ।
आर एस एस प्रमुख सरसंघचालक मोहन भागवत ऋषिकेश परमार्थ निकेतन पहुंचकर ऋषिकेश और हरिद्वार के सभी संतो से मुलाकात की मौका था परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद मुनि के 72 वें जन्मदिन का साथ ही परमार्थ निकेतन में चल रही कथा का यहां पहुंच कर आर एस एस प्रमुख ने युवाओं को संबोधित किया और संतों से राष्ट्र धर्म को मजबूती के साथ प्रसार करने की अपील करी।
इस अवसर पर सर संचालक मोहन भागवत ने कहा कि 142 करोड़ लोग भारत की रीढ़ की हड्डी के मनके हैं। हमें धर्म और संस्कृति को आचरण में लाना जरूरी है। हमें अपनेे धर्म को प्रत्यक्ष रूप से आचरण में उतारना होगा। हमारी संस्कृति श्रेष्ठ संस्कृति है परन्तु भारतीय संस्कृति को उत्थान के लिये प्रयत्न करना होगा। सनातन धर्म पर हमारी सृष्टि है, धर्म नहीं तो सृष्टि नहीं अतः उसे पहचान कर उस पर चलने वाले सुखी रहेंगे। आज पर्यावरण पर चर्चा हो रही है, हमें उसके लिये कार्य करना पड़ रहा है। हमारी भूमि में सब कुछ है, 6 हजार वर्षों से हम खेती कर रहे हैं और आज भी कर रहे हैं। जो बाते विज्ञान की उपयोगी है वह हमारे वेदों में उपलब्ध है। हमारे पास पहले से ही ज्ञान भी है और विज्ञान भी है। सनातन धर्म अपना काम करता है, सनातन धर्म अपने विधि-विधान के अनुसार अपना कार्य करेगा उसे पहचानकर हमें उन संस्कारों को स्वीकार कर चलना होगा तो हम सुखी रहेंगे। धर्म को हमारी जरूरत नहीं है परन्तु हमें धर्म की जरूरत है। स्वामी जी को अपना जन्मदिन मनाने की आवश्यकता नहीं है परन्तु यह हमें जरूरत है कि वे जो कार्य कर रहे हैं उसे अपने जीवन में हम लेकर आयें।
उन्होंने कहा कि संतों के आचरण में धर्म रहता है, धर्म सर्वत्र कार्य करता है। इस अवसर पर उन्होंने तुकाराम जी महाराज संदेशों को सुनाया। संत एकांत में आत्मसाधना और समाज में लोकसाधना करते हैं।