हो जाए तैयार फूलों की घाटी आप को बुला रही है
पर्यटकों के लिए आज से खुलेगी वैली ऑफ फ्लावर , ट्रेकिंग के साथ-साथ एडवेंचर का मिलेगा मजा , दो जगह ग्लेशियर से होकर गुजरेंगे पर्यटक, तो देर किस बात की पैक करें अपना रुकसेक बैग और चले आए उत्तराखंड
रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल
ऋषिकेश , उत्तराखंड को ऐसे ही देवभूमि नहीं कहते हैं यहां प्रकृति ने जगह जगह पर अपनी नेमत बिखेर रखी है जिसका सौंदर्य देखने लायक होता है अगर आप भी ट्रैकिंग और एडवेंचर के शौकीन है तो पहाड़ दस्तक आपको बता रहा है एक ऐसी जगह का पता जो सड़क मार्ग के बिल्कुल नजदीक है लेकिन कुदरत का असीम खजाना यहां चारों और बिखरा हुआ है जिसकी मदहोश करने वाली खुशबू आप के कदमों को उस खींचना शुरू कर देती है , जी हां हम बात कर रहे हैं वैली ऑफ फ्लावर्स यानी फूलों की घाटी की जो सड़क मार्ग से महज 3.2किमी की दूरी पर एक खूबसूरत ट्रैक है जहां आपको एक ऐसे प्राकृतिक बगीचे का नजारा देखने को मिलता है जहां रंग-बिरंगे तरह तरह के फूल खिले हुए हैं ऐसा लगता है मानो प्रकृति ने इस पूरे माहौल को ही खुशबू और रंगीनियत से भर दिया हो, तो आप भी हो जाएं तैयार अपना बैग तैयार करें और ऋषिकेश से बाई रोड घांघरिया तक का सफर तय करें आजकल हेमकुंड यात्रा भी चल रही है जहां आपको रहने और खाने की कोई दिक्कत नहीं होगी साथ ही गुरु साहिब के दर्शन भी आप कर सकते हैं अब बात करते हैं विस्तार से…
देवताओं के बगीचे के दर्शन अब आप भी कर सकते हैं क्योंकि 1 जून से फूलों की घाटी का सफर आम पर्यटकों के लिए खोलने जा रहा है , यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए खोल दी गई है गाड़ी के पैदल रास्ते पर दो जगह पर्यटकों को भारी हिमखंड दिखाई देंगे , जिससे यात्रा और दिलचस्प हो जाएगी , आपको बता दें 87.50 वर्ग किलोमीटर तक वैली ऑफ फ्लावर का विस्तार है।
कैसे शुरू करें अपनी यात्रा
*सड़क मार्ग से ऋषिकेश से घंगारिया तक का सफर
* घांघरिया गोविंदघाट से पैदल लगभग 3.2 किलोमीटर का ट्रैक
सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जौली ग्रांट एयरपोर्ट
*सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश में स्थित योग नगरी रेलवे स्टेशन है
1 जून से 31 अक्टूबर तक फूलों की घाटी को देखा जा सकता है
अब सवाल ये खोजकर्ता कोन थे….
गढ़वाल के ब्रिटिशकालीन कमिश्नर एटकिंसन ने अपनी किताब हिमालयन गजेटियर में 1931 में इसको नैसर्गिक फूलों की घाटी बताया। वनस्पति शास्त्री फ्रेक सिडनी स्माइथ जब कामेट पर्वतारोहण से वापस लौट रहे थे तो रास्ता भटक जाने से वे फूलों की घाटी पहुंचे।
पांच सौ प्रजाति से अधिक फूल
फूलों की घाटी में 500 प्रजाति के फूल अलग-अलग समय पर खिलते हैं। यहां जैव विविधता का खजाना है। यहां पर उगने वाले फूलों में पोटोटिला, प्राइमिला, एनिमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पापी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्मकमल, फैन कमल जैसे कई फूल यहां खिले रहते हैं।
अब सवाल ये कि कैसे पहुंचे वैली ऑफ फ्लावर….
फूलों की घाटी पहुंचने के लिए बदरीनाथ हाइवे से गोविंदघाट तक पहुंचा जा सकता है। यहां से तीन किमी सड़क मार्ग से पुलना और 11 किमी की दूरी पैदल चलकर हेमकुंड यात्रा के बैस कैंप घांघरिया पहुंचा जा सकता है।
यहां फूलों तीन किमी की दूरी पर फूलों की घाटी है। फूलों की घाटी में जाने के लिए पर्यटक को बैस कैंप घांघरिया से ही अपने साथ जरूरी खाने का सामान भी ले जाना पड़ता है। क्योंकि वहां पर दुकाने नहीं है।
एक जून से 31 अक्तूबर तक खुली रहती घाटी
फूलों की घाटी एक जून से 31 अक्तूबर तक खुली रहती है। यहां पर तितलियों का भी संसार है। इस घाटी में कस्तूरी मृग, मोनाल, हिमालय का काला भालू, गुलदार, हिम तेंदुएं भी रहते है।
अब हमें लगता है हमने आपको एक ऐसी जगह का पता बता दिया है जहां एडवेंचर ट्रैकिंग और प्राकृतिक सौंदर्य आपका बाहें फैलाकर इंतजार कर रहा है तो चले आइए उत्तराखंड आज से दीदार के लिए खुल गई है फूलों की घाटी जिसके पीछे एक किदवंती यह भी है कि अगर इस घाटी में अंदर की तरफ ज्यादा चले गए तो यहां मदहोश करने वाली खुशबू आपको अपने आगोश में लेकर भटकाती चली जाती है इसलिए समय का पालन करें और परिस्थिति के हिसाब से ही अपनी यात्रा को आगे बढ़ाएं, शुभ यात्रा