रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल
ऋषिकेश , केन्द्र सरकार के अधीनस्थ जी एस टी कॉन्सिल द्वारा अधिसूचना जारी कर जी एस टी में किए गए संशोधन के खिलाफ आज होटल एसोसिएशन ऋषिकेश ने प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी के माध्यम से प्रेषित कर जी एस टी में पुनः विचार करने की मांग करते हुए खाद्यान्न वस्तुओं, स्कूली शिक्षा के सामान को पूर्ण रूप से जी एस टी मुक्त किए जाने तथा अन्य पर एक प्रतिशत से पांच प्रतिशत तक कर लगाने एवं पेट्रोलियम पदार्थों को जी एस टी के अन्तर्गत लाने की मांग की।
ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखंड राज्य तीर्थाटन पर आश्रित है और व्यवसाय पूर्णता तीर्थयात्रियों पर निर्भर है इन्हीं लोगों से होटल, लाॅज, धर्मशाला आदि की आय का स्रोत है जी एस टी में संशोधन के बाद यात्री किराए पर जी एस टी का अतिरिक्त भार देने में असमर्थ है। केन्द्र सरकार की जी एस टी कांसिल ने होटल एकोमोडेशन पर एक हजार से कम कमरों पर 12प्रतिशत तथा 7501/रुपए प्रतिदिन से अधिक किराए पर 18 प्रतिशत की जी एस टी लगाई है जोकि अत्यधिक है अगर होटल लाॅज धर्मशाला आदि पर्यटन तीर्थाटन उधोग से जुड़े व्यवसाय पर जी एस टी लगानी ही है तो एक प्रतिशत से पांच प्रतिशत के मध्य लगाई जाए। जिस प्रकार अमेरिका में प्रत्येक वस्तु पर पांच प्रतिशत जी एस टी लागू है।
केन्द्रीय वित्त मंत्रालय की जी एस टी काॅन्सिल ने अधिसूचना संख्या 03/2017 सी टी (रेट) दिनांक 13-7-2022 सर्विसेज से संबंधित अधिसूचना सं0 11/2017-सीटी (रेट) दिनांक 28-6-2017 में संशोधन कर प्रत्येक वस्तु को जी एस टी के दायरे में लाया गया है जिसकी मार आम आदमी पर पड़ रही है तथा स्कूली शिक्षा के सामान पर जी एस टी लगने से शिक्षा महंगी हो गई है खाद्यान्न वस्तुओं को जी एस टी के अन्तर्गत लाने से मंहगाई बढ़ गई है जबकि खाद्यान्न वस्तुओं पर पूरे विश्व में कोई जी एस टी नहीं वसूली जाती है।
पेट्रोलियम पदार्थों को अभी तक जी एस टी के दायरे में नहीं लाया गया है जिस पर उत्पाद शुल्क, कस्टम ड्यूटी तथा राज्य सरकार द्वारा वैट वसूला जाता है जिससे पेट्रोलियम पदार्थों जैसे पेट्रोल डीजल आदि के रेट बहुत ज्यादा है।
प्रधानमंत्री से जी एस टी कांसिल में संशोधन पर पुनः विचार करने की मांग की है।
ज्ञापन देने वालों में एसोसिएशन के अध्यक्ष मदन गोपाल नागपाल, अंशुल अरोड़ा, भवानी शंकर व्यास, शम्भु पासवान, बृजपाल राणा, गजेन्द्र रतूड़ी, राजीव शर्मा, अमित दास, अमर बेलवाल, भगवती प्रसाद रतूड़ी आदि शामिल थे।