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रक्षा बंधन विशेष -गुरुकुल परंपरा आज भी ऋषिकेश में जिंदा है
प्राचीन गुरुकुल एवं आश्रम पद्धति के गुरुकुल की परम्परा - श्रावणी पर्व , रक्षा बंधन पर शुरु होता है वेद अध्यन का सत्र -- देश विदेश से संस्कृत अध्यन को ऋषिकेश पहुंचते हैं छात्र
रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल

ऋषिकेश , आज आपको बताते है एक ऐसी प्राचीन परम्परा के बारे में जो गुरुकुल में अपनायी जाती है शास्त्रों में मान्यता के अनुसार श्रावणी के दिन से वेद व कर्मकांड का अध्ययन करने वाले वेदपाठी उपनयन संस्कार के बाद गुरुकुल में दीक्षा आरम्भ करते है . शिक्षाविद वंशीधर पोखरियाल का कहना है कि रक्षा बंधन के दिन पड़ने वाला श्रावणी पर्व भी हमारी प्राचीन गुरुकुल की परंपरा का महत्वपूर्ण पर्व है , इसी दिन से गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्रों को का शिक्षा सत्र का इससे शुरू होता है
वही दर्शन महाविद्यालय से जुड़े संजय शास्त्री का कहना है कि देश विदेश से भारतीय वेद-उपनिषद ज्योतिष की शिक्षा लेने के लिए बड़ी संख्या में छात्र ऋषिकेश आते है और यहां छात्र उपनयन संस्कार के बाद ये ऋषिकुमार वेद-शास्त्रों की शिक्षा-दीक्षा के अधिकारी बन जाते है.
गौरतलब है कि आधुनिकता के इस दौर में वेद-शास्त्रों का अध्ययन करने के लिए ऋषिकेश के विभिन प्राचीन और धार्मिक मंदिरों -आश्रमों में गुरुकुल की परम्परा आज भी जीवित है उतराखंड के साथ देश के विभिन छेत्रो से कई छात्र यहाँ वेद कर्म काण्ड के अधयन्न के लिए प्रवेश लेते है .यहाँ से शिक्षा प्राप्त कर भारतीय संस्कृति कर्मकांड को आगे बढ़ाते है आज का दिन इन छात्रों के विशेष अधिकार मिलता है कि वह भारतीय हिंदू धर्म से जुड़े हुए वेद पुराणों का अध्ययन कर सकते हैं और यह परंपरा सालों से चली आ रही है
रक्षा बंधन का दिन गुरुकुल परंपरा का विशेष दिन जिसे श्रावणी पर्व के रूप में मनाया जाता है आज से गुरुकुल में दूर दूर से आये छात्र वेद कर्म काण्ड जैसे विषयो को पढ़ने के लिए तैयार हो जाते है