
स्मरण _यादें शेष… ऋषिकेश के युवा प्रतिभाशाली चिंतनशील विनम्र पत्रकार दुर्गा का अचानक जाना
ऋषिकेश, पत्रकारिता हमेशा चेहरे, स्वभाव मानवीयता और बारीकी समझ पारदर्शिता से आती है ये गुण दुर्गा प्रसाद नौटियाल के व्यक्तित्व में शुरू से ही थे, हर समय हर परिस्थिति में हंसते मुस्कराते हुए अपनी जिम्मेदारी को निभाना ये नए पत्रकारों के लिए दुर्गा से सीखने की सीख हम सभी को दिया करते थे, मुझे याद 2007 के बाद का वो समय जब सहारा समय के ऋषिकेश कार्यालय प्रबोध उनियाल ने मुझे पहली बार दुर्गा से मिलाया और कहा कि आशीष ये दुर्गा है इसे इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लिए तैयार करना है, दुर्गा उस दिन से हमारी टीम का हिस्सा बन गया और तब से दुर्गा टीम के साथ साथ परिवार का हिस्सा बन गया और उस समय हम ने ऋषिकेश को सहारा समय के टीवी स्क्रीन से घर घर तक पहुंचा दिया, धीरे धीरे दुर्गा कैमरे और लेखन मे अपनी उपस्थिति दर्ज कराने लगा और अपना मुकाम बना लिया।
कई साल तक सहारा समय ऋषिकेश में कार्य करते हुए लोगो के दिलो में अपनी पहचान बना ली। फिर हरीश भाई ने दुर्गा नौटियाल की प्रतिभा को देखते हुए हरीश भाई ने दुर्गा को दैनिक जागरण में मौका दिया तब से अब तक दुर्गा जागरण ऋषिकेश के स्टाफर से प्रभारी तक का सफर तय किया।
मुझे ऋषिकेश में OIMT में पत्रकारिता एवम जनसंचार केंद्र शुरू करने का मौका मिला, मुझे बीए मास कॉम और एम ए मॉस कॉम का डिग्री कोर्स शुरू करना था, बीए की क्लास को पढ़ाने के लिए मुझे टीम बनानी थी मैने दुर्गा को सुबह का एक पीरियड के लिए कहा की भाई तुम पढ़ाओगे, दुर्गा भाई थोड़ा हिचकिचाया कि मैने कभी पढ़ाया नही है फिर मेरे समझाने पर,मेरे लिए तैयारी कर पढ़ाने लगा ये थी दुर्गा भाई में लगन स्टूडेंट को भी प्रिंट और क्राइम रिपोर्टिंग का अच्छा ज्ञान मिला।
ऋषिकेश प्रेस क्लब में मुझे अध्यक्ष और दुर्गा को महामंत्री की जिम्मेदारी सौपी गई जो तीन साल तक दुर्गा भाई ने अपनी लगन से बखूबी निभाई , मेरा टर्न पूरा होने के बाद हम सबकी पहली पसंद और सहमति से फिर नए अध्यक्ष के रूप ने दुर्गा भाई को प्रेस क्लब ऋषिकेश की जिम्मेदारी दी गई, अचानक ही स्वास्थ ने दुर्गा को परेशान करना शुरू कर दिया और अचानक ही दो हफ्ते पहले ये खबर मिली कि दुर्गा निर्मल आश्रम में भर्ती है बड़े भाई हरीश भाई और प्रबोध भाई ने सूचना दी मुझे आखरी बार प्रिय दुर्गा को देखने का मौका मिला, बेड पर कुछ बैठ कर दुर्गा भाई इतनी कठिन परिस्थितियों में भी मुस्कुरा कर देख रहे थे मैं असमंजस में रह गया क्या बोलूं का कहूं… तभी हरीश भाई ने इशारा कर मुझे दूसरी तरफ बुला लिया जहां सभी पत्रकार साथी बैठे हुए थे, दिल्ली और ईलाज की व्यवस्थाओं पर चिंतन चल रहा था, दुर्गा भाई ईलाज के लिए दिल्ली गए, पहली कीमो उनको दी गईं, और जानकारी मिली तेजी से स्वास्थ्य लाभ हो रहा है एक खुशी हम सब के लिए थी, जल्द स्वस्थ होकर हम सबके बीच एक बार फिर छोटा भाई आएगा, लेकिन कल शाम अचानक जब ये दुखद खबर मिली कि दुर्गा अंतिम यात्रा पर निकल गया, एक झटका ऐसा लगा कि उस से पार पाना मुश्किल है, लेकिन ईश्वर के सामने इंसान लाचार है आज दुर्गा भाई को पूर्णानंद घाट पर अंतिम विदा करने की घड़ी आ गई…. मन दुखी है सबका इतनी जल्दी साथ छोड़ के जाओगे ये किसी ने भी नही सोचा था…
दूसरो को अपने रक्त से 150 से ज्यादा जिंदगी देने वाले दुर्गा नौटियाल तुम हमेशा हमारे दिलों में रहोगे, आप का साथ हमेशा याद रहेगा .. अलविदा मित्र _ आशीष डोभाल
पहाड़ दस्तक लाइव की ओर से दुर्गा सर को भावभीनी श्रद्धांजलि, आप हमेशा हमारे साथ है आपकी कलम हमेशा सीख देती रहेगी, सादर नमन दुर्गा सर _ कृष्णा रावत डोभाल, संपादक