पटवारी खोलेगा राज ? अंकिता के आरोपियों को रिमांड
अंकिता मर्डर केस में आरोपियों का साथी बना पटवारी अब पुलिस के सामने उगलेगा राज , कोर्ट ने आरोपियों को रिमांड पर भेजा , मौका ए वारदात सहित रिजॉर्ट पर एसआईटी करेगी आरोपियों की निशानदेही पर काम
रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल
ऋषिकेश, अंकिता हत्याकांड में यमकेश्वर के पटवारी वैभव प्रताप सिंह ने जितनी मदद पुलकित की करी और अंकिता मर्डर केस को मिस लीड किया ये पटवारी व्यवस्था का एक जीता जागता उदाहरण है , जिस पर ना ही कभी एसडीएम ने ध्यान दिया और ना ही कभी डीएम ने अब दोष दें तो किसे दे , राजाजी नेशनल पार्क में लगातार रिजॉर्ट पर रिजॉर्ट खुलना पार्क प्रशासन के सिस्टम की भी पोल खोलता है , पार्क छेत्र में सालो से रहना वाला आम आदमी 1 ईट तक नहीं लगा सकता इसके उल्टे यहां धड़ल्ले से लगातार रिसोर्ट के रिसोर्ट इस क्षेत्र में बनते जा रहे हैं , जनता एक बीन नदी के पुल को लेकर कई सालों से आंदोलनरत है लेकिन सड़क होने के बावजूद भी नदी पर पुल जनता को नहीं मिल पा रहा है ,जिससे बड़ा ट्रैफिक गुजरता है दूसरी तरफ वन एवं पर्यावरण मंत्रालय पुल को हरी झंडी ना दे कर इन रिसोर्ट को कैसे क्लीयरेंस दे रहा है यह भी सोचने की बात है । हम कह सकते हैं कि ऊपर से नीचे तक सरकारी सिस्टम गले तक भ्रष्टाचार में डूबा है ऐसे में अपराधी किस्म के लोग लगातार उत्तराखंड की शांत वादियों में अपराध की दुनिया का संसार बसाते जा रहे हैं , जिसका शिकार यहां के भोले-भाले लोग बनते जा रहे हैं यह सोचने वाली बात है।
सिस्टम की लापरवाही देखिए की अंकिता भंडारी मर्डर केस केस में पटवारी वैभव प्रताप सिंह के घटना के अगले दिन अवकाश पर जाने के बाद उसकी भूमिका संदेह के घेरे में आ गई थी। 19 सितंबर की शाम को वीरेंद्र सिंह भंडारी के फोन पर उनकी बेटी अंकिता भंडारी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराने के बाद पटवारी वैभव प्रताप सिंह अचानक छुट्टी पर चला गया। जिला प्रशासन ने मामले में पटवारी की संदिग्ध भूमिका को देखते हुए उसको निलंबित करने के साथ थलीसैंण तहसील में अटैच कर दिया। इसके साथ एसडीएम लैंसडाउन को मामले की जांच सौंपने के साथ पटवारी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए। घटना के बाद से पटवारी का फोन नंबर लगातार स्विच ऑफ आ रहा था। सूत्रों के मुताबिक एसआईटी ने पटवारी वैभव प्रताप सिंह को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है पूछताछ के बाद एसआईटी मामले में पटवारी वैभव प्रताप सिंह की भूमिका का खुलासा करेगी।
अगर वक्त रहते सरकारी सिस्टम अपनी नौकरी को ही ढंग से चलाता जिसकी रोटी वह अपने परिवार और अपने आप खाता है उस कमाई को थोड़ा ईमानदारी से निभा पाता तो आज उत्तराखंड में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगना शुरू हो जाता , पैसे की पहुंच पार्क प्रशासन और उत्तराखंड के शासन के सरकारी सिस्टम सभी पर हावी है ऐसे में उत्तराखंड की वादियों को कैसे बचाए जाएगा यह भी सोचने की बात है।