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युवा दिलों की धड़कन पंचम दा

भारतीय संगीत उद्योग को नई ऊंचाई पर पहुंचाया आर डी बर्मन ने , आज है जन्मदिन अपने गानों से युवा दिलों को जोड़ रहे हैं पंचम दा

 

रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल

ऋषिकेश , भारतीय संगीत पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है, संगीत ही है जो फिल्मों के उतार-चढ़ाव पर अपना खासा असर डालता है और अगर बात करें गोल्डन ईरा की तो युवा दिलों की धड़कन के रूप में सिर्फ एक ही नाम सामने आता है जिसने भारतीय म्यूजिक इंडस्ट्री को एक अलग ही ऊंचाई दे दी एक ऐसा संगीतकार जो आवाज के जादू और अपने प्रयोगों से हिंदी सिनेमा के उस दौर को एक अलग ही पहचान दे गया जी हां हम बात कर रहे हैं युवा दिलों की धड़कन आर डी बर्मन की पिता से संगीत विरासत में मिला लेकिन पिता के साथ काम करते करते आर डी बर्मन ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है आज हम उस महान संगीतकार को उनके जन्मदिवस पर याद कर रहे हैं, जिनको हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के संगीत जगत  के सबसे महान और सबसे सफल संगीत निर्देशकों में से एक माना जाता है। 1960 से 1990 के दशक तक, आरडी बर्मन ने 331 फिल्मों के लिए संगीत रचना की, और अपनी रचनाओं से संगीत को एक नया स्तर प्रदान किया ।

राहुल देव बर्मन का एक परिचय…
 
राहुल देव बर्मन का जन्म देश के मशहूर संगीतकार एसडी बर्मन मां मीरा देव बर्मन के घर  27 जून 1939 को कोलकत्ता में हुआ था और विवाह रीता पटेल और उसके बाद शादी टूटने के बाद 14 साल बाद मशहूर गायिका आशा भोंसले के साथ हुआ , आरडी बर्मन के बारे में वैसे तो बहुत से किस्से है लेकिन एक किस्सा ये भी हैं कि इनको को पंचम दा भी कहा जाता था और ये नाम उनकी नानी ने रखा था। इस नाम को रखने के पीछे की वजह बताईओ जाती है कि जब पंचम दा बचपन में रोते थे उनकी रोने की आवाज शास्त्रीय संगीत के पांचवें सरगम ‘प’ की तरह सुनाई देता था जिस कारण इनका नाम पंचम दा रखा गया। इस नाम से ही आज आर डी बर्मन को सब लोग जानते हैं।
कैरियर की शुरुवात..
पंचम दा बचपन से ही संगीत के प्रति एक अलग ही लगाव रखते थे पिता को पंचम के गुण का उस समय पता लगा जब पंचम दा के स्कूल का रिजल्ट आया और उनके काफी कम नंबर आए पिता फौरन ही मुंबई से कोलकाता घर पहुंचे और आरडी से पूछा आखिर तुम करना क्या चाहते हो ? , पंचम दा ने पिता को जवाब दिया संगीतकार बनना चाहता हूं और वह भी आप से बड़ा , पिता ने कहा यह कोई इतना आसान काम थोड़ी है क्या कभी कोई धुन बनाई है पंचम दा ने एक नई पिता के हाथ में अपनी बनाई 9 धुनों को थमा दिया ,  एसडी बर्मन वापस मुंबई चले गए कुछ दिनों बाद सिनेमाघर में फंटूश फिल्म लगी जिसमें एक गाने में आर डी बर्मन की धुन का एसडी बर्मन डे प्रयोग किया , पंचम दा ने जब यह धुन सुनी तो उन्होंने अपने पिता को आरोप लगाया कि आपने उनकी धुन की चोरी करी है तब एसडी बर्मन ने कहा कि मैं यह देखना चाहता था कि यह धुन लोगों को कितनी पसंद आती है , इसके बाद आरडी बर्मन का मुंबई सफर शुरू हुआ और यहां पहुंच कर उन्होंने संगीत की शिक्षा ली उस्ताद अली अकबर खान से सरोद वादन सीखा और गुरु समता प्रसाद से तबले की पारंपरिक शिक्षा ली , हिंदी फिल्म उद्योग में आर डी बर्मन जी चौधरी को अपना गुरु मानते थे।
1959 में पहला ब्रेक मिला फिल्म राज में लेकिन यह फिल्म पूरी बन नहीं पाई उसके बाद 1965 में महमूद की फिल्म छोटे नवाब में पहली बार आर डी बर्मन ने अपने संगीत की शुरुआत करी और महमूद के साथ फिल्म में एक्टिंग भी करी , लेकिन असली प्रसिद्धि संगीतकार के रूप में तीसरी मंजिल फिल्म से मिली जिसके बाद आरडी बर्मन भारतीय फिल्म संगीत का बेहद लोकप्रिय संगीतकार का दर्जा प्राप्त करते गए। इस महान संगीतकार को पहाड़ दस्तक की ओर से जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं आप अपने संगीत के जरिए हमेशा ही युवा दिलों की धड़कन बने रहेंगे , पंचम दा जन्मदिन मुबारक।

Krishna Rawat

Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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