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सरकार की इच्छा शक्ति की कमी से आज भी बेजार है योग की कैपिटल चौरासी कुटिया

सिर्फ शोपीस के रूप में खण्डरों की नुमाईश भर रह गया विश्व प्रसिद्ध महेश योगी का आश्रम चौरासी कुटिया - योग की पहचान की विरासत को सरकार से संरक्षित करने मांग

रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल

ऋषिकेश, चौरासी कुटिया वही जगह है जिसने पूरे विश्व में भारतीय योग की पताका को एक नई ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया आज पूरा विश्व भारतीय योग का दीवाना है लेकिन इसका श्रेय इन खंडर को जाता है जो 84 कुटिया के आज भी मौजूद है और इसको देखने के लिए बड़ी संख्या में विश्व भर का पर्यटक ऋषिकेश का रुख करता है , लेकिन दुर्भाग्य देखिए ऋषिकेश को वर्ड कैपिटल ऑफ योगा या अंतराष्ट्रीय योग नगरी के रूप में पुकारा तो जाता है लेकिन जिस जगह ने पूरब और पश्चिम का मिलन कराया था ,वो जगह हमेशा ही चाहे इंटरनेशनल योग फेस्टिवल हो या इंटरनेशनल योगा डे हर समय उपेक्षित रहती है ।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पीएम मोदी की देखा देखी में आदि कैलाश पर्वत पर योग कर रहे है, सोच पर्यटन को विकसित करने की है, लेकिन जो इंटरनेशनल टूरिस्ट का उत्तराखंड में सबसे बड़ा केंद्र है बीटल्स आश्रम चौरासी कुटिया उस पर ना तो वन विभाग का ध्यान है और ना ही राज्य सरकार, वो हमेशा योग के नाम पर सिर्फ अपने अतीत से बाहर नहीं निकल पा रहा है।

ऋषिकेश योग की राजधानी के रूप में पुरे विश्व में अपनी खास पहचान रखता है हर साल 1 मार्च से ऋषिकेश में इंटर नेशनल योग फेस्टिवल होता है और 21 जून को विश्व योग दिवस जिसकी तैयारी में सरकारी विभाग लगा रहता है योग को पूरी दुनिया से परिचित कराने वाली चौरासी कुटिया आज सरकार की बेरुखी से उपेक्षित है योग फेस्टिवल के समय योग प्रेमी और पर्यटक सरकार से इस विरासत को संरक्षित करने की मांग कर रहे .

वहीं विदेशों में योग सिखा चुके ऋषिकेश के फैमस योगा गुरु सैम जे संजय नौटियाल का कहना है कि विश्व भर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही महर्षिमहेश योगीकी चौरासी कुटिया को ऋषिकेश में योग का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है यहाँ से निकल कर योग पुरे विश्व में फैला था ,लेकिन सरकार की नीति से आज भी ये जगह सिर्फ दिखावे की जगह रह गयी है जबकि ये आश्रम उत्तराखंड में एक ऐसी धरोहर जिसके दीवाने पुरे विश्व में फैले हुए है , विदेशियों की जुबान पर ऋषिकेश के बीटल्स आश्रम का नाम एक आमबात है।

वहीं महर्षि महेश योगी के शंकराचार्य नगर में योग की दीक्षा ले चुके हैं पूर्व छात्र चित्रमणि देशवाल का कहना है कि लगभग चारदशक के बाद ये विरासत आम आदमी के लिए खोल तो दी गयी है लेकिन इसका फायदा किसी भी योग प्रेमी को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि सरकार राजाजी टाइगर रिजर्व होने के चलते वन कानूनों का हवाला देकर इसके संरक्षण पर कोई रुचि नहीं लेता है साठ के दशक में बसाए गए शंकराचार्य नगर चौरासी कुटिया को देखने के लिए हर साल बड़ी संख्या में देसी विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं लेकिन सरकार की नीति के चलते यहां पहुंचकर सिर्फ खंडरो के ही दर्शन को हो पाते हैं , यहां पहुंचने वाले पर्यटक अब सरकार से इस विरासत को संभालने की मांग कर रहे हैं जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग को पहचान दिलाने वाली है नगरी आने वाली पीढ़ी को अतीत की याद दिला सके.

 

Krishna Rawat

Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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