उत्तराखंडदेहरादूनराजनीति

मुख्यमंत्री के हाथों ई-रूपी प्रणाली एवं चार नई कृषि नीतियों का शुभारंभ

रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल

 

मुख्यमंत्री के हाथों ई-रूपी प्रणाली एवं चार नई कृषि नीतियों का शुभारंभ

  1. जल्द तैयार होगी प्रदेश की फ्लावर और हनी पॉलिसी

 

देहरादून, मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को सचिवालय में आधुनिक तकनीक पर आधारित “ई-रूपी” प्रणाली का शुभारंभ किया। इस मौके पर उन्होंने राज्य की कृषि व्यवस्था को नई दिशा देने के लिए चार महत्वाकांक्षी कृषि नीतियों (कीवी नीति, ड्रैगन फ्रूट, सेब तुड़ाई उपरांत तुड़ाई योजना और मिलट मिशन) का शुभारंभ करते हुए कहा कि सरकार जल्द ही प्रदेश में फ्लावर और हनी पॉलिसी भी तैयार करेगी।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ई-रूपी प्रणाली राज्य के अन्नदाताओं के लिए एक नई पहल है। “ई-रूपी प्रणाली” किसानों के लिए पारदर्शी, तेज और बिचौलिया-मुक्त डिजिटल भुगतान का नया माध्यम बनेगी। इस प्रणाली के अंतर्गत पायलट परियोजनाओं में किसानों को मिलने वाली अनुदान राशि ई-वाउचर (SMS या QR code) के माध्यम से सीधे उनके मोबाइल पर भेजी जाएगी, जिसे वे अधिकृत केंद्रों या विक्रेताओं से खाद, बीज, दवाएं आदि खरीदने में उपयोग कर सकेंगे।

मुख्यमंत्री ने ई-रूपी प्रणाली के सफल क्रियान्वयन हेतु अधिकारियों को निर्देश दिए कि गांव-गांव में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर किसानों को जागरूक किया जाए, ताकि वे इस तकनीक का समुचित लाभ उठा सकें। इन सभी पहलों का उद्देश्य राज्य के पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में कृषि एवं रोजगार को सुदृढ़ करना है, जिससे पलायन जैसी समस्या पर भी प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके। ये योजनाएं उत्तराखंड को आत्मनिर्भर, सशक्त एवं अग्रणी कृषि राज्य बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी।

मुख्यमंत्री ने चार नई कृषि नीतियों का शुभारंभ करते हुए कहा कि ये सभी योजनाएं राज्य की कृषि विविधता को बढ़ावा देंगी और कृषकों की आय में वृद्धि का आधार बनेंगी।

इस अवसर पर कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि सेब उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 2030-31 तक 5,000 हैक्टेयर में अति सघन बागवानी का लक्ष्य तय किया गया है। सेब भंडारण व ग्रेडिंग हेतु ₹144.55 करोड़ की योजना लॉन्च की गई है, जिसमें सी.ए. स्टोरेज व सोर्टिंग-ग्रेडिंग इकाइयों को 50-70% तक राजसहायता दी जाएगी। कृषि मंत्री जोशी ने कहा कि मिलेट नीति के अंतर्गत 2030-31 तक 70,000 हैक्टेयर क्षेत्र आच्छादित करने के लिए ₹134.893 करोड़ का लॉन्च की गई है। इसमें किसानों को बीज बोआई और उपज खरीद पर प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। साथ ही ये नीतियाँ राज्य के कृषकों की आर्थिकी को सशक्त बनाएंगी और उत्तराखंड के उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाएंगी।

इस अवसर पर उपाध्यक्ष प्रदेशीय मौन परिषद उत्तराखंड गिरीश डोभाल ,उपाध्यक्ष चाय विकास सलाहकार परिषद  महेश्वर सिंह मेहरा, उपाध्यक्ष उत्तराखंड जैविक कृषि  भूपेश उपाध्याय, जड़ी बूटी सलाहकार समिति के उपाध्याक्ष  बलबीर धुनियाल, राज्य औषधीय पादप बोर्ड के उपाध्यक्ष प्रताप सिंह पंवार, जड़ी बूटी समिति के उपाध्यक्ष  भुवन विक्रम डबराल, सचिव डॉ. एसएन पांडेय, महानिदेशक कृषि  रणवीर सिंह चौहान, निदेशक आईटीडीए  गौरव कुमार सहित विभिन्न जिलों के काश्तकार मौजूद रहे।

 

 

*कीवी नीति की खास बातें*

 

कुल लागत 894 करोड़ रुपये

6 वर्षों में 3500 हेक्टेयर भूमि पर कीवी उत्पादन का लक्ष्य

लगभग 14 हजार मीट्रिक टन वार्षिक कीवी उत्पादन का लक्ष्य

9 हजार किसानों को होगा प्रत्यक्ष लाभ

 

*ड्रैगन फ्रूट नीति की खास बातें*

 

कुल लागत 15 करोड़ रुपये

228 एकड़ भूमि पर ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन

350 मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य

छोटे और मध्यम किसानों को लाभ

 

*सेब तुड़ाई उपरांत प्रबंधन योजना*

 

144.55 करोड़ रुपये की लागत

5,000 हेक्टेयर क्षेत्र को अति सघन बागवानी से आच्छादित करना

22 सी ए स्टोरेज इकाइयों एवं सॉर्टिंग-ग्रेडिंग इकाइयों की स्थापना

व्यक्तिगत कृषकों को 50 प्रतिशत और कृषक समूहों को 70 प्रतिशत तक अनुदान।

 

*मिलेट नीति*

135 करोड़ रुपये की लागत

दो चरणों में 68 विकासखंडों में 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को मिलेट उत्पादन के अंतर्गत लाना निवेश पर 80 प्रतिशत तक अनुदान।

प्रति हेक्टेयर पंक्ति बुआई पर 4000 रुपये और अन्य विधियों पर 2000 रुपये प्रोत्साहन।

किसानों को खरीद पर 300 रुपये प्रति क्विंटल अतिरिक्त प्रोत्साहन।

Krishna Rawat Dobhal

Awarded by Bjp mahila morcha on international women's day for the field of Journalism, Nari shakti samman by Mahila Ayog(2023),Gauradevi saman 2014,Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

Related Articles

Back to top button
Translate »