रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल
देहरादून , उत्तराखंड की धरती पर जन्में प्रसिद्धसाहित्यकार एवं प्रतिभा के धनी तेज तर्रार रहे भूतपूर्व राजनेता विद्या सागर नौटियाल की स्मृति में दूसरा विद्यासागर सम्मान 2022 वरिष्ठ कथाकार शेखर जोशी को दिया गया।अस्वस्थता के कारण जोशी की अनुपस्थिति में यह सम्मान उनके पुत्र प्रफ्फुल जोशी ने प्राप्त किया।हिमालय बचाओ आंदोलनकारी पर्यावरणविद विनोद जुगलान ने जोशी को उत्तरिया अंगवस्त्र ओढ़ाकर एवं स्वर्गीय नौटियाल की सुपत्री अनिता नौटियाल जोशी ने उन्हें सम्मान चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।देहरादून राजपुर रोड़ स्थित एन आई ई पी वी डी सभागार में वीरवार को जनकवि सतीश के जनगीत से शुरू हुए और देर शाम तक चले इस कार्यक्रम को हिमालय बचाओ अभियान एवं संवेदना ट्रस्ट की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के रूप में पधारे वरिष्ठ कथाकार पंकज बिष्ट और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रथम विद्यासागर नौटियाल सम्मान से सम्मानित वयोबृद्ध कहानीकार सुभाष पन्त ने स्वर्गीय नौटियाल की कहानी और उपन्यासों की चर्चा करके बीते समय और उनके क्रांतिकारी जीवन की याद दिलाई।उन्होंने कहा विद्यासागर नौटियाल वास्तव में विद्या के अथाह सागर थे,वे जब तक जिये उन्होंने अपने नाम को सकारात्मक ऊर्जा के साथ चरितार्थ किया।जबकि प्रफुल्ल जोशी ने अपने पिता शेखर जोशी और नौटियाल की लेखन शैली और उनके विचारों की समानता के संस्मरणों की याद दिलाते हुए कभी भावपूर्ण तो कभी तालियों की गड़गड़ाहट से मुस्कराने पर मजबूर किया।हिमालय बचाओ अभियान के कोर कमेटी के सक्रिय सदस्य पर्यावरण आंदोलनकारी समीर रतूड़ी और वीरेंद्र नौटियाल संयुक्त संचालन में चले इस कार्यक्रम में स्वर्गीय नौटियाल की रचनाओं उत्तर बाँया है,सूरज सबका है,भीम अकेला,यमुना के बागी बेटे,जागी जा पंच धार,देशभक्तों की कैद में का कई बार जिक्र आया,जबकि वर्ष 1953 से साहित्यक सेवा कर रहे 90 वर्षीय कथाकार शेखर जोशी की कहानी दाज्यू,बदबू,उस्ताद एवं आश्रीवचन जैसी कहानियों सहित उनकी आत्मकथा मेरा औरैया गाँव पर प्रकाश डाला गया।मौके पर देहरादून के स्थानीय वरिष्ठ साहित्यकारों सहित दूरदराज के रचनाकार एवं नवोदित साहित्यकार भी बड़ी संख्या में सम्मिलित रहे।इस अवसर पर राष्ट्री दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान के निदेशक डॉ हिमांशु दास,सहायक प्रोफेसर सुनील कुमार,राजकीय डिग्री कालेज डोईवाला हिंदी के प्रोफेसर धीरेंद्र कुमार,वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश उनियाल,सुभाष पन्त,पंकज बिष्ट,पर्यावरणविद समीर रतूड़ी,अर्चना तिवारी,गीता गैरोला,पंचशील नौटियाल,अरविंद जोशी,पत्रकार अरुण शर्मा,युवा प्रकाशक प्रबोध उनियाल,लेखिका बीना बेंजवाल,रँगमंचकर्मी शिरीश डोभाल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।