सुपरस्टार देव आनंद साहब
जन्म शताब्दी वर्ष , एक ऐसा कलाकार जिसने भारतीय सिनेमा को सिखाई स्टाइल, अभिनेता निर्देशक के रूप में एक अलग ही पहचान
रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल
भारतीय सिनेमा के सबसे लोकप्रिय कलाकारों में से एक, प्रमुख अभिनेता देव आनंद जी की जन्म शताब्दी का है। (वे 100 वर्ष पूरे करते)।
आइये, हम सब उन्हें याद कर लें।
उन्होंने 50 वर्षों से भी अधिक समय तक फ़िल्मों में कार्य किया… अभिनय, निर्माण, निर्देशन। उनके द्वारा निर्मित कुछ फ़िल्में तो क्लासिक श्रेणी में शामिल हैं। जैसे… ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘काला पानी’, ‘गाइड’।
उनके बड़े भाई चेतन आनंद और छोटे भाई विजय आनंद जाने माने फ़िल्म निर्देशक थे।
उनके सबसे प्रिय संगीत निर्देशक थे सचिन देव बर्मन, जिनका संगीत आज भी अमर है।
आज ही के दिन, उनकी कई फि़ल्मों में रही नायिका, वहीदा रहमान जी को भारत के सर्वोच्च फ़िल्म पुरस्कार ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ की घोषणा हुई है।
आप और हम सबकी ओर से देव आनन्द साहब को प्रेम व आदरपूर्वक याद करते हुए, सिनेमा को उनके योगदान के लिए नमन करते हैं…….
किस्सा हरे रामा हरे कृष्णा…
देवानंद ने ज़ीनत अमान को एक पार्टी में देखा था। सिगरेट के कश लगाती ज़ीनत अमान पहली ही नज़र में देवानंद को भा गई थी। उन दिनों देवानंद हरे रामा हरे कृष्णा फिल्म में अपनी बहन का रोल निभाने के लिए किसी एक्ट्रेस की तलाश कर रहे थे। इंडस्ट्री की कोई भी बड़ी एक्ट्रेस पर्दे पर उनकी बहन का रोल नहीं निभाना चाहती थी।
देव साहब ने ज़ीनत को वो रोल ऑफर किया। मिस इंडिया का खिताब जीतने के बाद ज़ीनत भी फिल्म इंडस्ट्री को उम्मीद भरी नज़रों से देख रही थी। यूं तो शुरू में ज़ीनत को भी देवानंद जैसे स्टार की बहन का रोल करना अजीब लग रहा था। लेकिन एक मजबूत शुरुआत के लिए उन्होंने वो रोल स्वीकार कर ही लिया।
ज़ीनत का वो फैसला एकदम सही साबित हुआ। हरे रामा हरे कृष्णा में देव साहब ने ज़ीनत से इतना शानदार काम कराया कि ज़ीनत का नाम हर तरफ चर्चाओं में आ गया। जहां भी फिल्मों का ज़िक्र होता, ज़ीनत अमान के नाम के बिना वो ज़िक्र अधूरा होता था। ज़ीनत के साथ देव साहब की ट्यूनिंग बड़ी बेहतरीन हो गई।
उधर मीडिया ने देवानंद और ज़ीनत अमान के बीच अफेयर की कहानियां गढ़नी शुरू कर दी। वैसे वो कहानियां आधी सच भी थी। क्योंकि देव साहब वाकई में मन ही मन ज़ीनत अमान को चाहने लगे थे। लेकिन ज़ीनत की प्लानिंग कुछ और ही थी।
कम शब्दों में कहानी खत्म करते हुए बताता हूं कि जब ज़ीनत को राज कपूर ने सत्यम शिवम सुंदरम का ऑफर दिया तो उन्होंने बिना देर किए वो ऑफर लपक लिया। देवानंद को ये बात बाद में पता चली। वो भी किसी और से। उन्हें ये बात अच्छी नहीं लगी। हालांकि उन्हें ज़ीनत से कोई शिकवा नहीं था। लेकिन ज़ीनत का राज कपूर कैंप में जाना उन्हें पसंद नहीं आया था।
यूं तो देवानंद राज कपूर की भी बड़ी इज्ज़त करते थे। उनके काम के मुरीद भी थे। लेकिन ज़ीनत का मामला अलग था। उन्हें लगा जैसे राज कपूर एक झटके में ज़ीनत को उनसे छीन ले गए। और देवानंद ने ज़ीनत अमान को अपने दिल से निकाल दिया। आज देवानंद साहब का जन्मदिवस है। 26 सितंबर 1923 को देवानंद पंजाब के गुरदासपुर ज़िले के शकरगढ़ में हुआ था। अब ये इलाका पाकिस्तान चला गया है।
देवानंद जी के बारे में बताने के लिए इतना कुछ है कि मैं सोच रहा हूं कि सब कुछ छोड़ूं और रोज़ कम से कम दो पोस्ट सिर्फ देवानंद के बारे में ही लिखूं। और जानते हैं मुझे ऐसा क्यों लग रहा है? क्योंकि अब जिस वक्त मैं ये पोस्ट लिख रहा हूं, मेरी टेबल पर देवानंद की ऑटोबायोग्राफी रोमांसिग विद लाइफ रखी है। और इस किताब में देवानंद साहब ने अपने दिल के जज़्बात लिखे हैं।