बद्रीनाथ धाम में श्राद्ध का विशेष महत्व _ब्रह्मकपाल में पितृ दोष से मिलती है मुक्ति , भगवान शिव को यहां पर ब्रह्म हत्या के पाप से मिली थी मुक्ति

रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल
श्री बदरीनाथ धाम , श्राद्ध पक्ष शुरू होते ही श्री बदरीनाथ धाम में तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ गयी है वही अलकनंदा नदी के तट पर ब्रह्मकपाल में श्राद्ध के दिन मध्यान्ह तक तीर्थयात्रियों ने अपने पूर्वजों को तर्पण दिया।
श्री बदरीनाथ स्थित ब्रह्मकपाल के विषय में शास्त्रों में उल्लेख आता है कि भगवान शिव को यहां पर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिली थी।
तथा आखिरी अमावस्या श्राद्ध 2 अक्टूबर बुद्धवार को संपन्न हो जायेगा।इसके पश्चात 3 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि पर्व शुरू होगा।
ब्रह्म कपाल से तीर्थ पुरोहित उमेश सती,शरद सती,राकेश सती,भगवती,नौटियाल दीपक नौटियाल, संजय हटवाल, दीनदयाल कोठियाल ने बताया कि ब्रह्म कपाल में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री पितृदोष से मुक्ति तथा तर्पण श्राद्ध कार्य हेतु पहुंचते है।
श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा हरीश गौड़ ने बताया कि मानसून में अपेक्षाकृत यात्रा में कमी के बाद श्राद्ध पक्ष शुरू होते ही तथा नवरात्रि के दौरान श्री बदरीनाथ – केदारनाथ धाम में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो जाती है।
श्री बदरीनाथ धाम एवं केदारनाथ धाम में सितंबर दूसरे सप्ताह के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हुई है। धामों मे प्रतिदिन तीन से चार हजार तीर्थयात्री दर्शन को पहुंच रहे है।
श्री केदारनाथ में अभी तक रिकार्ड ग्यारह लाख पैंतालीस हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन कर लिए है जबकि श्री बदरीनाथ धाम में नौ लाख नब्बे हजार से अधिक तीर्थयात्री दर्शन का पुण्य लाभ अर्जित कर चुके है इस तरह अभी तक इक्कीस लाख पैंतीस हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने श्री बदरीनाथ तथा केदारनाथ धाम के दर्शन कर लिए है। कहा कि धामों में आवश्यक यात्री सुविधाएं मुहैया कराई गई है।