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सोशल मीडिया की पत्रकारिता आम लोगो के लिए बन रही है परेशानी, विज्ञापन और निजी स्वार्थ की आड़ में आम लोगो से वसूली,ईको टूरिज्म कैंप के संचालक के मानसिक उत्पीड़न से उठे सवाल

ब्यूरो रिपोर्ट _हल्द्वानी ‎

देहरादून , उत्तराखंड में सोशल मीडिया का वसूली गिरोह बेलगाम हो चुका है। इनकी नजर जिस उपक्रम पर पड़ जाती है। उससे ये वसूली किये बिना नहीं मानते हैं। इनके बारे में जानकारी मिल रही है कि ये लोग नये होटल, रिसॉट और घरों के निर्माण पर नजर रखते हैं। और फिर उन्हें मानकों हवाला देकर डराते और धमकाने हैं। इस बार इस सोशल मीडिया के वसूली गिरोह की नजर रामनगर के आमडंडा में बने ईको टूरिज्म के बिजरानी कैंप पर पड़ी है। जब ईको टूरिज्य के संचालकों ने बताया कि जब तथाकथित पत्रकार से लेनदेन करने से इंकार कर दिया तो इसने अपने सोशल मीडिया पोर्टल पर खबरें डालनी शुरु की।

शुरुआत में लग रहा था कि ये वसूली गिरोह लेनदेन नहीं होने से चिढ़ा हुआ है। लेकिन विभागीय सूत्रों के अनुसार इसके पीछे बिजरानी कैप हासिल नहीं कर पाये आवेदकों की साजिश हैं।  असल में बिजरानी कैंप के संचालकों के खिलाफ खबर प्लांट करना और उन्हें मानसिक रुप से परेशान करने के पीछे सोची समझी रणनीति काम कर रही है।

लेकिन अब ये तथा कथितपत्रकार अपनी ही खबरों की जाल में फंसते नजर आ रहा है। अब मामले की परते खुल रही है स्थानीय निवासियों और वन निगम के कर्मचारियों से मिली जानकारी के मुताबिक बिजरानी कैंप को लेकर वन निगम का भले ही अनुबंध सागीर खान के साथ हुआ हो। लेकिन असल में इसका संचालन दीवान मनकोटी और सत्यपाल सिंह ही कर रहे थे। आरोप है कि इन लोगों ने बिजरानी कैंप का इस्तेमाल अपने हित में तो खूब किया। लेकिन उनका कारोबार नहीं बढ़ने दिया। जिससे सागीर खान परेशान थे। जिसके बाद उन्होंने साल 2023 में बिजरानी कैंप छोड़ने का फैसला किया और वन विभाग को पत्र लिखकर बिजरानी कैंप चलाने में असमर्थता जताई। तब तत्कालीन डीएसएम ने उक्त पत्र को संस्तुति कर क्षेत्रीय प्रबंधक के पास भेजा। विभाग ने इसके लिए आवेदन निकाले जिस से इनके मनसूबो पर पानी फिर गया, जीएसटी नंबर और पेपर वर्क पूरा ना करने के चलते कैंप दूसरे आवेदन करता को अलॉट हो गया। इसके बाद भी येन केन प्रकारेन कैंप हथियाने के लिए कोशिश भी की। लेकिन निगम के अधिकारियों ने उनके मनसूबों को पूरा नहीं होने दिया। निगम के अधिकारी का कहना है कि हमारा उद्देश्य निगम की आय बढ़ाना है। लिहाजा उन्होंने नोटिस चस्पा कर आवेदन मांगे। यहां ये समझना जरूरी है कि कैंप ने कभी भी 5 लाख रुपये सालाना से ज्यादा का कारोबार नहीं किया था। लिहाजा टेंडर प्रक्रिया की जगह नोटिस चस्पा कर आवेदन मांगे गये थे। जिसके बाद निगम को पांच आवेदन प्राप्त हुए। जिनमें दीवान मनकोटी, सत्यपाल रावत और चेतन बल्यूटिया ने कैंप के संचालन के लिए आवेदन किया था। वहीं विज्ञापन के चस्पा होने के बाद रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी और बलवंत सिंह नेगी ने भी कैंप संचालन के लिए अपना आवेदन किया।

सूत्रों की माने तो तब दीवान मनकोटी और सत्यपाल सिंह को लग रहा था कि कैंप उन्हें ही मिलेगा। वे बरसों से सागीर खान के अनुबंध की आड़ में बिजरानी कैंप का संचालन कर रहे थे। लिहाजा तब सभी आवेदन करने वालों ने जिसमें दीवान मनकोटी, सत्यपाल रावत, चेतन बल्यूटिया और बलवंत सिंह का नाम शामिल है। किसी ने भी निगम की प्रक्रिया पर सवाल नहीं उठाये। लेकिन जब निगम के अधिकारियों की कमेटी ने सभी दस्तावेज की जांच करके नए आवेदनकर्ता रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी को बिजरानी कैंप के संचालन के लिए उपयुक्त पाया तो इन लोगों ने सोशल मीडिया के पत्रकार के माध्यम से निगम की पूरी प्रक्रिया को ही गलत ठहरा दिया। इसने निगम के कर्मचारियों अधिकारियों के कामकाज पर भी सवाल उठाये और पत्रकारिता का डर दिखाया। लेकिन अधिकारी इस तरह की साजिशो से परे अपने डिसीजन पर कायम रहे।

आपको बता दें कि जिस वक्त रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी को बिजरानी कैंप आवंटित किया गया था। तब ये जीर्णशीर्ण हालत में था। जिसकी फोटोग्राफी भी कराई गई। जो कि निगम के दफ्तर में जमा है। लेकिन अब जब बिजरानी कैंप का कायाकल्प कर दिया गया है। अब पत्रकारिता की आड़ में सवाल उठने लगे और कुछ लोग रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी के प्रोपराइटर्स को परेशान करने लगे।

रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी के प्रोपराइटर हरीश सती ने तथाकथित और वसूली करने वाले इन पत्रकारों के खिलाफ रामनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने पुलिस प्रशासन से इन तथाकथित पत्रकारों के जरिये खबरें प्लांट करवा रहे लोगो के खिलाफ सख्त कारवाही की मांग की है। हरीश सती ने पत्रकारों और उनकी संस्थाओं से भी अपील की है कि वे ऐसे तथाकथित पत्रकारों जो वसूली में लिप्त हों, उनके खिलाफ खड़ें होने की अपील की है। ताकि जनतंत्र के चौथे खंभे के प्रति लोगों की आस्था बनी रहे।

खबर के मुख्य बिंदू—-

– बिजरानी कैंप के संचालन के लिए नियमानुसार मांगे आवेदन, आवेदन पत्रों की जांच कमेटी द्वारा कर योग्य व्यक्ति के साथ किया अनुबंध

– पहले वन निगम ने बिजरानी कैंप का अनुबंध सागीर खान के साथ किया था ।

5- वन विभाग के बिजरानी कैंप का अनुबंध भले ही सागीर खान के साथ था। लेकिन उसका असल संचालन दीवान मनकोटी और सत्यपाल सिंह रावत ही कर रहे थे।

_जिस में लगातार घाटा दिखा कर 5 लाख से ऊपर  कारोबार नहीं दर्शाया।

7- सागीर खान को बिजरानी कैंप से कोई लाभ नहीं हो रहा था। लिहाजा उन्होंने साल 2023 में वन निगम को पत्र लिखकर कैंप के संचालन में असमर्थता जताई।

8- सागीर खान के कैंप के संचालन में असमर्थता जताने के बाद तत्कालीन डीएसएम ने उक्त पत्र को संस्तुति करते हुए क्षेत्रीय प्रबंधक के पास भेजा।

9- सागीर खान के पत्र के बाद निगम ने बिजरानी कैंप के संचालन के लिए नोटिस बोर्ड पर एक विज्ञापन चस्पा किया।

10- उस वक्त दीवान मनकोटी, सतपाल रावत और चेतन बल्यूटिया ने भी कैंप के संचालन के लिए आवेदन किया था।

11- विज्ञापन के चस्पा होने के बाद रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी और बलवंत सिंह नेगी ने भी कैंप संचालन के लिए अपना आवेदन किया।

12- तब सभी ने निगम की प्रक्रिया का समर्थन किया था।

13- अब तथाकथित पत्रकार के माध्यम से सोशल मीडिया में केवल बिजरानी कैंप की बात कर बेवजह का अधिकारियों पर दबाव बनाया जा रहा है। जबकि वहां दो कैंप संचालित हैं। जिसमें से एक यूपी के जमाने से चल रहा है।

एक नजर पूरे प्रकरण पर…

1- यूपी के जमाने में ईको टूरिज्म को लेकर वन निगम और सागीर खान के बीच अनुबंध हुआ था।

2- तब रामनगर के आमडंडा में जंगल लोर और विजरानी कैंप सागीर खान को दिये गये थे।

3- 2023 में सागीर खान ने बिजरानी कैंप को चलाने में असमर्थता जताई, निगम को लिखित पत्र दिया

4- सागीर खान, कभी भी ईको टूरिज्म कैंप के कारोबार की वार्षिक आय को 5 लाख से अधिक का नहीं कर सके।

5- सागीर खान के लिखित असमर्थता जताने के बाद तत्कालीन डीएसएम ने उनके पत्र को क्षेत्रीय प्रबंधक (आरएम) के पास भेज दिया।

6- क्षेत्रीय प्रबंधन ने ईको टूरिज्म के बिजरानी कैंप के 15 कॉटेज के संचालन के लिए नये आवेदन मांगे। क्योंकि इसकी सालाना आय 5 लाख से कम थी, लिहाजा निगम ने अपने नोटिस बोर्ड पर इसका विज्ञापन चस्पा किया।

7- निगम ने आवेदनों की जांच लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की।

8- कमेटी ने आवेदनकर्ताओं के आवेदन को जांचने के बाद रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी को उपयुक्त पाया। जिसके बाद मार्च 2024 से बिजरानी कैंप के संचालन का जिम्मा रिद्धिमा बेकर्स को दे दिया गया।

9- चूकिं बिजरानी कैंप जीर्णशीर्ण हालत में था। जिसकी विडियो ग्राफी निगम के कर्मचारियों के सामने की गई। उस विडियोग्राफी को डीएसएम दफ्तर में जमा किया गया है।

10- रिद्धिमा बेकर्स के संचालकों ने इस कैंप का कायाकल्प कर दिया है। जिसके बाद कई विरोधियों की नजर इस पर लग गई है। जो कि अब खबरें प्लांट करवा रहे हैं।

11- विगत दिनों दो शख्स बिजरानी कैंप पहुंचे। जो कि अपने आप को पत्रकार बता रहे थे। विरोधियों के हाथ में खेल रहे इन कथित पत्रकारों ने निशुल्क सेवा की मांग की। जिसकी पूर्ती नहीं करने पर ये तथाकथित पत्रकार निगम द्वारा की गई प्रक्रिया को गलत ठहराने की कोशिश कर रहे हैं।

12- इन तथाकथित पत्रकारों के खिलाफ रिद्धिमा बेकर्स एंड हॉस्पिटलिटी के संचालकों द्वारा एक शिकायत रामनगर थाने में भी की गई है।

Krishna Rawat

Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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