
रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल
ऋषिकेश, बीच चुनाव में पंचायत चुनाव में प्रत्याशी बन जीत का सपना देख रहे उन नेताओं को हाईकोर्ट के फैसले ने गंभीर समस्या में डाल दिया है, मामला उनकी समझ से बाहर हो गया है कि खर्चा कर मैदान बने रहे या चुनाव से कन्नी काट ले, दो नाव पर सवार होकर हर जगह नेतागिरी करना अब भारी पड़ गया है, डर इस बात का है जीत के बाद कोर्ट ने चुनाव को निरस्त कर दिया तब क्या होगा।
हाईकोर्ट ने ऐसे प्रत्याशियों के पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है जिनके नाम स्थानीय नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों जगहों की मतदाता सूचियों में दर्ज हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशियों का चुनाव लड़ना पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पूरी हो जाने के कारण वह चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है।
गौरतलब है कि शक्ति सिंह बर्त्वाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हरिद्वार को छोड़कर राज्य के 12 जिलों में पंचायत चुनाव लड़ रहे कुछ प्रत्याशियों के नाम नगर निकाय और ग्राम पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में हैं। इन पर रिटर्निंग अधिकारियों ने अलग-अलग निर्णय लिए हैं। इससे कहीं प्रत्याशियों के नामांकन रद्द हो गए हैं तो कहीं उनके नामांकन स्वीकृत हो गए हैं