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उत्तराखंडवासियों के लिए AIIMS हुआ बेगाना

घरवालों को डांटे, बाहर वालों को बांटे कुछ इस तर्ज पर AIIMS ऋषिकेश के इलाज का तरीका, उत्तराखंड वासियों की बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीदों को झटका दे रहा है ऋषिकेश एम्स, इलाज के लिए चाहिए बड़ी एप्रोच नही तो खाते रहो धक्के, बिजनौर सहारनपुर और यूपी के तमाम शहरों का कब्जा , उत्तराखंडीयों के लिए ना नौकरी ना इलाज

 

रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल

ऋषिकेश, उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने के लिए अटल शासनकाल में ऋषिकेश एम्स की नींव रखी गई , जिससे यहां की जनता को बड़ी उम्मीदें थी , अपने निर्माण के कुछ साल बीतने के बाद पहले निदेशक के जाते ही ऋषिकेश एम्स के नक्शे कदम ही बदलने लग गए , यहां भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद का ऐसा दौर चला कि लोकल आदमी इलाज के लिए ऋषिकेश एम्स में जाने से डरने लगा , साफ तौर पर यहां पर नजीबाबाद ,मुजफ्फरनगर और यूपी के कई शहरों के लोग आकर डेरा डालने लगे , उस पर भी पूर्व निदेशक की मेहरबानी से बड़ी संख्या में अन्य राज्यों के संविदाकर्मी सोने पर सुहागा साबित हुए , जिसमें उत्तराखंड का नागरिक कहीं पीछे छूटता चला गया हालात यह हो गए कि ऋषिकेश एम्स में इलाज कराने के लिए बड़ी पहुंच की जरूरत पड़ने लगी। ताजा मामला रुड़की निवासी भूपेंद्र सिंह के 12 दिन के बच्चे की मौत से एक बार फिर उजागर हुआ हालांकि अब एम्स प्रशासन लीपापोती पर जुड़ा हुआ है , लेकिन उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री की भी ऋषिकेश एम्स में ना चलने से उत्तराखंडी नेताओं को भी यहां के प्रशासन ने आइना दिखा कर रख दिया है , जरा सोचिएगा जरूर क्या एम्स का निर्माण बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को दूरस्थ इलाकों तक पहुंचाने के लिए उत्तराखंड में हुआ था या नहीं , या बेहतर इलाज पाने की चाह के लिए ऋषिकेश एम्स में धक्के खा कर महीनों के इंतजार के बाद फिर से प्राइवेट हॉस्पिटल के चक्कर काटने में अपनी जिंदगी को गवा देना ही उत्तराखंड वासियों की नियति बन गई है या इसमें कोई सुधार की कोई गुंजाइश है जरा सोचिएगा जरूर ??

एक नजर ताजा मामले पर कैसे एम्स प्रशासन काम करता है

उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत की सिफारिश पर रुड़की से ऋषिकेश एम्स में उपचार के लिए लाए गए12 दिन के बच्चे को आईसीयू बेड नहीं मिलने से उसकी मौत हो जाने के बाद एम्स की लापरवाही सामने आने के चलते , एम्स प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

मृतक नवजात के ‌ पिता ‌ रुड़की निवासी भूपेंद्र सिंह 1 अगस्त की शाम को रुड़की से अपने बच्चे की तबीयत खराब होने के बाद एम्स ऋषिकेश उपचार के लिए लाये थे. उनका कहना है कि मेरे बच्चे का पेट फूल रहा था, संभवत इंफेक्शन था।  जिसे ‌रुड़की से डॉक्टरों ने एम्स के लिए रेफर किया था।एम्स आने के बाद बच्चे को इमरजेंसी भर्ती किया गया था ।

एम्स के मेडिकल सुपरीटेंडेंट संजीव मित्तल का कहना है कि “1 अगस्त को जब बच्चे को लाया गया था तो इमरजेंसी में उसको देखा गया था, ऑक्सीजन भी दी गई थी, लेकिन आईसीयू बेड नहीं होने के कारण बच्चे को अन्य जगह ले जाया गया. जहां रास्ते में उसकी मौत हो गई ऐसे में उनका कहना था कि यहां पर बेड की व्यवस्था बढ़ाई जा रही है।

एम्स को जगह और मिल रही है उसके बाद और बढ़ाई जाएगी।उनका कहना है यहां पर जो भी मरीज आता है हम उसको उपचार देते हैं. कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। 12 दिन के बच्चे को 12 साल का बताने के मामले पर डॉक्टर मित्तल ने कहा मुझे जानकारी पहले 12 साल के बच्चे की दी गई थी आज सुबह फिर मैंने जब पता किया ,तो पता चला कि बच्चा 12 साल का नहीं 12 दिन का था। 

Krishna Rawat

Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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