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पाकिस्तान के मुल्तान से जोत की जोत परंपरा
विभाजन के बाद पाकिस्तान में रह रहे मुल्तानी परिवार हर साल हरिद्वार जाकर अपने भारत में बसे भाइयों के साथ मनाते हैं मुल्तान ज्योत महोत्सव हर की पौड़ी पर खेली जाती है मां गंगा के साथ दूध फूलों की होली और रात को दिवाली, दो देशों में बटे परिवारों का महोत्सव
रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल
हरिद्वार,20 अगस्त, पाकिस्तान के मुल्तान में रहने वाले हिंदू मुल्तानी बड़ी संख्या हरिद्वार आए हुए और इनके साथ उनके परिवार के भारतीय मुल्तानी परिवार हरिद्वार के गंगा तटों पर अपना 113 वा मुल्तान जोत महोसव मना रहे है, दोस्तो भारत पाक बटवारे ने भले ही एक देश को एक लकीर खींच कर दो देशों में बांट दिया है लेकिन कई हिंदू परिवार आज भी पाकिस्तान में रह रहे हैं सावन का महीना पाकिस्तान के मुल्तान प्रांत रह रहे हिंदू परिवारों के लिए खास होता है एक परंपरा दोनों देशों में रह रहे मुल्तानियों को आपस में जोड़कर रखती है वह है गंगा जोत यात्रा यानी मुल्तान जोत महोत्सव जिसमें बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होकर एक दूसरे के साथ गंगा में स्नान करके फूल और दूध की होली गंगा के साथ खेलते हैं यह परंपरा 1911 से चली आ रही है ।
मुल्तान जोत महोत्सव का धार्मिक ही नहीं ऐतिहासिक महत्व भी है। आजादी से पूर्व 1911 में मुल्तान (पाकिस्तान) में रहने वाले रूप चंद वहां से जोत लेकर पैदल हरिद्वार पहुंचे थे। यहां जोत के साथ दूध को गंगा में अर्पित किया था। तभी से हर साल मुल्तान जोत महोत्सव मनाया जाता आ रहा है।
अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन के अनुसार आजादी से पूर्व तक श्रद्धालु जोत को हर साल मुल्तान से ही लाया करते थे। बंटवारे के बाद मुल्तानी समुदाय के लोगों ने इस महोत्सव को जारी रखा। हर साल भीमगोड़ा स्थित मुल्तान भवन में महोत्सव से एक सप्ताह पहले जोत को विधिविधान से प्रज्ज्वलित किया जाता है। एक सप्ताह तक जोत की पूजा की जाती है तथा हर दिन भंडारे का आयोजन होता है।

आज का दिन हर की पौड़ी पर विशेष दिवाली होली और प्रकाश पर्व का दिन है इस दिन भारत_ पाक के मुल्तानी परिवार मां गंगा के साथ दूध फूल और रंगों की होली खेलेंगे और एक दूसरे को बधाई देकर अगले साल फिर मिलने का वादा करके अपने वतन लौट जाएंगे ।