खतरे में जोशीमठ , दहशत में लोग
3000 से ज्यादा लोग प्रभावित, मकानों में दरारें जमीन से फूट रहा है पानी , कभी भी गिर सकते हैं घर, भू धंसाओ जारी , तबाही की चेतावनी
रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल
जोशीमठ , शंकराचार्य की तपस्थली जोशीमठ तबाही के मुहाने पर धीरे धीरे बढ़ रहा है लोगो में दहशत है चारो ओर भू धंसाओ और जमीन से पानी निकल रहा है मकान के मकान बड़ी बड़ी दरार से टूटने के कगार पर जोशीमठ के लोगों में प्रकृति के इस रूप को देखकर दहशत और डर बना हुआ है लोग पलायन कर रहे हैं और अपने मकानों को छोड़कर खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है ऐसे में कभी भी जोशीमठ शहर भरभरा कर जमीनोंदोज हो सकता है ।
20,000 की आबादी वाला शहर और सैनिक छावनी का मुख्य पड़ाव अब खतरे की जद में आ गया है, जोशीमठ के लोगों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात करके अपनी व्यथा को सुनाया मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी जल्द ही जोशीमठ दौरे की बात कही साथ ही 8 सदस्य समिति का गठन करके उन्हें जोशीमठ भेजा है जो इस पर विस्तृत अध्ययन करेगी और अपनी रिपोर्ट सरकार को देगी।
एक नजर पुरानी रिपोर्ट पर,क्या कह रही है…
राज्य सरकार ने बीते साल अगस्त में भी विशेषज्ञों के दल को जोशीमठ भेजा था। दल ने सितंबर में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। रिपोर्ट में बताया गया कि जोशीमठ मुख्य रूप से पुराने भूस्खलन क्षेत्र के ऊपर बसा है। ऐसे क्षेत्रों में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था न होने की स्थिति में भूमि में समाने वाले पानी के साथ मिट्टी बहने से कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। रिपोर्ट में जोशीमठ में पानी की निकासी की उचित व्यवस्था करने, अलकनंदा नदी से हो रहे भूकटाव की रोकथाम को कदम उठाने, नालों का चैनलाइजेशन व सुदृढ़ीकरण करने, धारण क्षमता के अनुरूप निर्माण कार्यों को नियंत्रित करने के सुझाव दिए गए थे।
3 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित…
नगर निगम के चेयरमैन शैलेंद्र पवार ने कहा कि मारवाड़ी वार्ड में जमीन के अंदर पानी का रिसाव होने से घरों में दरारें आ गईं। उन्होंने बताया कि जोशीमठ के 576 घरों के 3 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा, “नगर पालिका द्वारा सभी घरों का सर्वेक्षण किया जा रहा है। कई लोगों ने अपना घर भी छोड़ दिया है।”
आज पहुंच रही विशेषज्ञों की टीम…
विशेषज्ञों की आठ सदस्यीय टीम गठित की है। यह टीम गुरुवार से जोशीमठ में डेरा डालेगी और दो दिन तक भूधंसाव वाले क्षेत्रों का निरीक्षण करेगी। साथ ही समस्या के समाधान के लिए तात्कालिक और दीर्घकालिक उपायों के दृष्टिगत सरकार को सुझाव देगी।
पहाड़ों पर प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की यह एक शुरुआत भर है विकास के नाम पर प्रकृति से छेड़छाड़ की जा रही है लेकिन उसके बैलेंस को ध्यान में रखने के लिए ठोस उपाय नहीं किए जा रहे हैं जिसका खामियाजा आने वाले सालों में उत्तराखंड के बड़े हिस्सों में पड़ सकता है, जोशीमठ की यह तस्वीरें प्रकृति की चेतावनी भर है , अगर जल्द इस और नहीं चेते तो आने वाले दिनों में मुसीबत कई रूपों में सामने आएगी जिसको समय इतना सरकार के बस की बात नहीं होगी ।