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चार धाम यात्रा को सीरियसली ना लेना पड़ गया भारी
सरकार का स्लॉट सिस्टम बना मुसीबत , अन्य राज्यों से कोआर्डिनेशन के अभाव में बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं यात्री यात्रा टर्मिनल पर डेरा डालकर पड़े हैं यात्री
देश के विभिन्न राज्यों से चार धाम यात्रा के लिए पहुंचे यात्री परेशान , ऋषिकेश में 1 हफ्ते से डेरा डाल के पडे हुए हैं यात्री , नहीं मिल रही है बसे

रिपोर्ट_ कृष्णा रावत डोभाल
ऋषिकेश , चार धाम यात्रा पूरी तरह से पटरी से उतर गई है जिसकी मुख्य वजह सरकारी सिस्टम का कोआर्डिनेशन ना होना देखा जा रहा है देशभर के अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में तीर्थयात्री चार धाम यात्रा के लिए ऋषिकेश पहुंच रहे हैं लेकिन अभी तक अन्य राज्यों से कोआर्डिनेशन करने में सरकार विफल रही है जिसका नतीजा ऋषिकेश यात्रा टर्मिनल पर साफ नजर आ रहा है यात्री यात्रा के लिए घर से निकल तो गए हैं लेकिन यात्रा पर जाने के लिए वाहन नहीं मिल रहे हैं सरकार ने आनन-फानन में स्लॉट सिस्टम लागू कर दिया , लेकिन व्यवस्थाएं यात्रियों के लिए नहीं कर पाई है जिससे यात्री परेशान है और उनमें रोष है।
वहीं चार धाम यात्रा के समय ऋषिकेश उपजिलाधिकारी की नई जिम्मेदारी मिलने पर ऋषिकेश पहुंचे शैलेंद्र सिंह नेगी यात्रियों को समझा रहे हैं कि सरकार ने स्लॉट सिस्टम जारी किया है कैपेसिटी के हिसाब से ही अवतरित यात्री चारों धामों में यात्रा कर सकते हैं लेकिन अपने घरों से यात्रा के लिए निकले हुए तीर्थ यात्रियों को सरकार की बातें ऐन वक्त पर समझ नहीं आ रही है धीरे-धीरे पैसे और यात्रा ऋषिकेश से शुरू नहीं हो पा रही है साथ ही ऋषिकेश नगर निगम द्वारा संचालित शौचालय सिस्टम ने यात्रियों से बार-बर पैसे लेकर उनकी कमर तोड़ दी है मध्य प्रदेश से आए तीर्थयात्री लगातार सरकारी अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं कि शौचालय को फ्री सेवा करके मोदी जी के स्वच्छता के नारे को मजबूत किया जाए लेकिन अधिकारी मजबूर है, और शौचालय कर्मी हर बार प्रति व्यक्ति पैसा वसूल रहे हैं जो यात्रियों को रास नहीं आ रहा है आखिर ऐसे में सवाल उठता है कि देशभर से तीर्थ यात्रियों को बुलाने की जब जिम्मेदारी उत्तराखंड सरकार ने अपने कंधों पर निभाई थी तो इतने लोगों की व्यवस्था की जिम्मेदारी कौन उठाएगा क्या यात्रियों को सड़कों पर पड़े रहने और बस अड्डों के किनारे इंतजार के लिए छोड़ा जाएगा या फिर सरकार बेहतर व्यवस्था करके यात्रा मैनेजमेंट को मजबूत करेगी जिसकी उम्मीद अभी धरातल पर दिखाई नहीं देती सारा सिस्टम पटरी से उतरता हुआ नजर आता है क्योंकि अधिकारी और मंत्री देहरादून में अपने वातानुकूलित ऑफिस से बाहर नहीं आना चाहते ऐसे में यात्रियों की किसे पड़ी है सोचिए गा जरूर।