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श्री भरत मंदिर मे श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ

श्री भरत मंदिर में ब्रह्मलीन महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी की पुण्य स्मृति मे नो दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुआ ।

 

रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल

ऋषिकेश,पतित पावनी जान्हवी गंगा के मंगलमय तट पर स्थित श्री भरत मंदिर में ब्रह्मलीन महंत अशोक प्रपन्नाचार्य जी की पुण्य स्मृति मे नो दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ प्रारंभ हुआ ।

व्यास पीठ पर काशी विश्वनाथ की पावन धरती से आए पूज्य संत डा रामकमलदास वेदांती जी महाराज के श्री मुख से श्रीमद् भागवत कथा के महत्व का श्रवण करवाते हुए कहा कि
कथा की सार्थकता जब ही सिध्द होती है जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल ‘ मनोरंजन ‘, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी । भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शंाति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण,भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है।

श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।

भागवत पुराण हिन्दुओं के अट्ठारह पुराणों में से एक है। इसे श्रीमद् भागवत या केवल भागवतम् भी कहते हैं। इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को सभी देवों का देव या स्वयं भगवान के रूप में चित्रित किया गया है। इस पुराण में रस भाव की भक्ति का निरूपण भी किया गया है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है। इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई और कलियुग में आज भी इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखने को मिलते हैं।श्रीमदभागवत कथा सुनने से प्राणी को मुक्ति प्राप्त होती है

सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। ब’चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है। पावन हृदय से श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण मात्र से ही प्राणी मात्र का कल्याण संभव है।कथा के प्रथम दिवस पर श्री भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य जी महाराज , श्री हर्षवर्धन शर्मा ,वरुण शर्मा जी,कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल,जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारीजी महामंडलेश्वर स्वामी ललिता नंद जी महाराज, हरी चेतनानंद जी महाराज, महामंडलेश्वर ईश्वर दास जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी दयाराम दास जी महाराज , महामंडलेश्वर अरुण दास जी, सतपाल ब्रह्मचारी जी आदि संत महात्मा की उपस्थिति में श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ हुआ

Krishna Rawat Dobhal

Awarded by Bjp mahila morcha on international women's day for the field of Journalism, Nari shakti samman by Mahila Ayog(2023),Gauradevi saman 2014,Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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