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हर्षिल की राजमा, लाल चावल को जीआई टैग

खबर स्वाद और सेहत भरी, यमुना वैली का स्वाद अब होगा अंतरराष्ट्रीय , टैगिंग के सहारे मिलेगी क्षेत्र विशेष को पहचान किसानों को सीधा लाभ

 

खबर स्वाद और सेहत की

रिपोर्ट_कृष्णा रावत डोभाल

उत्तरकाशी , उत्तराखंड की यमुना वैली की पहचान बन चुके यहां के उत्पाद , पहाड़ियों के साथ-साथ मैदानों और विदेशो में भी अपनी धूम मचा रहे है यहां उगने वाले उत्पाद, जी हां हम बात कर रहे हैं उत्तरकाशी के हर्षिल की , जिसका का नाम आते ही मुंह में घूल जाने वाली स्वादिष्ट राजमा का स्वाद दिमाग में आने लगता है हरसिल की राजमा इतनी ज्यादा पसंद की जाती है कि उसकी नकल पर बाजारों में तरह की राजमा बेची जाती है, लेकिन अब हर्सिल की राजमा को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए जीआई टैग के आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो गई है , जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम यूएनडीपी ने शुरुआत कर दी है।

क्या है जी आई टैग

जीआई टैग को अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक ट्रेडमार्क की तरह देखा जाता है, जी आई टैग खासकर किसी प्राकृतिक या निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता की पहचान होता है जो कि विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र से संबंध रखता है यह टेक्स भारत में भौगोलिक पंजीयक रजिस्ट्रार की ओर से जारी किए जाते हैं

उत्तराखंड की यमुना वैली के पुरोला के रामा सिरोई और कमल सिराई में उगाए जाने वाले पुरोला के लाल चावल को भी देश विदेश में बहुत पसंद किया जाता है क्योंकि यह चावल स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है इसमें भरपूर मात्रा में आयरन, प्रोटीन पोटेशियम फाइबर और ऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा होती है , जिसके चलते यह बेहद स्वास्थ्यवर्धक होता है जिससे दिल हड्डियां मोटापा और अस्थमा आदि बीमारियों से राहत मिलती है इसी के चलते यह बाजार में ₹100 से लेकर ₹120 किलो के हिसाब से बिकता है।

उत्तरकाशी के सीमांत जनपद में इस तरह के कई पारंपरिक उत्पाद हैं जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जा सकती है जिस से सीधे यहां के काश्तकारों को लाभ पहुंचेगा यही सब देखकर यूएनडीपी उत्तराखंड के उत्पादों को जी आई टेक के रूप में एक अलग पहचान दिलाने के लिए प्रयासरत है जी आई कंसलटेंट यूएनडीपी सुधांशु अजेरिया का कहना है कि हरसिल के राजमा और पुरोला के लाल चावल को जी आई टेक के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है दोनों उत्पादों से जुड़ा शोध कार्य भी इकट्ठा किया जा रहा है इसके साथ ही अन्य क्षेत्रों में उगने वाले उत्पादों को भी इसी श्रेणी में लाए जा रहा है जिसका सीधा फायदा यहां के किसानों को मिलेगा।

Krishna Rawat

Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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