रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल
ऋषिकेश , आज पूरा देश वैसाखी का त्यौहार धूमधाम से मना रहा है गंगा तटों पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालुओं का रेला पहुंच रहा है देर रात से ही गंगा तटों पर स्थान जारी है साथ ही गुरुद्वारों में सुबह से ही गुरुवाणी का पाठ किया जा रहा है और बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुरुद्वारे में मत्था टेकने पहुंच रहे और एक दूसरे को शुभकामनाएं दे रहे हैं , वैसाखी से जुड़ी कई मान्यताएं हैं रवि की फसल पककर तैयार हो जाती है और आज से ही पंजाब हरियाणा और उत्तर प्रदेश में फसल की कटाई भी शुरू हो जाती है किसानों में आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है पंजाब में हर जगह भांगड़ा और गिद्दा करके खुशी का इजहार किया जाता है आज हम आपको बताते हैं इस पर से जुडी मान्यताओं के बारे में।

बैसाखी क्यों मनाते हैं?
मुख्य तौर पर सिख समुदाय के लोग बैसाखी को नए साल के रूप में मनाते हैं। बैसाखी तक रबी की फसलें पक जाती हैं और उनकी कटाई होती है, उसकी खुशी में भी ये त्योहार मनाया जाता है। बैसाखी मनाने के पीछे की एक वजह ये भी है कि 13 अप्रैल 1699 को सिख पंथ के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी, इसके साथ ही इस दिन को मनाना शुरू किया गया था। बैसाखी के दिन से ही पंजाबी नए साल की शुरुआत भी होती है।
कैसे मनाते हैं बैसाखी का उत्सव
बैसाखी के दिन गुरुद्वारों को सजाया जाता है। लोग तड़के सुबह उठकर गुरूद्वारे में जाकर प्रार्थना करते हैं। गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब जी के स्थान को जल और दूध से शुद्ध किया जाता है। उसके बाद पवित्र किताब को ताज के साथ उसके स्थान पर रखा जाता है।
इस दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन सिख समुदाय में आस्था रखने वाले लोग गुरु वाणी सुनते हैं। श्रद्धालुओं के लिए खीर, शरबत आदि बनाई जाती है। बैसाखी के दिन किसान प्रचुर मात्रा में उपजी फसल के लिए भगवान का धन्यवाद करते हैं और अपनी समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
इसके बाद शाम के समय में घरों के बाहर लकड़ियां जलाई जाती हैं। लोग गोल घेरा बनाकर वहां खड़े होते हैं और एक साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं। गिद्दा और भांगड़ा करके अपनी खुशियों का इजहार करते हैं और एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं , पहाड़ दस्तक लाइव की तरफ से आप सभी को वैसाखी की अनंत शुभकामनाएं