उत्तराखंडऋषिकेशएक्सक्लूसिवदेहरादूनपर्यटनबेबाक बोललेटेस्ट कवरेज

28 को विदा होगे विदेशी मेहमान

उत्तराखंड के एक बदहाल गांव की तस्वीर बदल गया जी 20 , काश अपनी सरकार का राग अलापने वाली सरकार,उत्तराखंड के हजारों बदहाल गांव की तकदीर बदलेंगी,यह यक्ष प्रश्न है या कोई कोई जी 20 रूपी मुनाईश के इंतजार में इनको भी इंतजार करना पड़ेगा

 

रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल

ऋषिकेश, उत्तराखंड में बदहाल गांव की स्थिति किसी से नहीं चुकी है जिसके चलते बड़ी संख्या में पलायन हुआ है, ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का लगातार आरोप रहता है कि सरकार गांव की ओर कभी ध्यान नहीं देती , जबकि सरकार चाहे तो क्या नहीं हो सकती , एक ही दिन में गांव की किस्मत बदल सकती है , गांव अचानक ही पर्यटन के नक्शे पर विश्वस्तरीय हो जाता है लेकिन इसके पीछे इच्छाशक्ति या कोई मजबूरी सरकार की हो तो । यह सब पहाड़ दस्तक इसलिए आपको बता रहा है कि नरेंद्र नगर का एक छोटा सा गांव जो कल तक बदहाल था अचानक ही ऐसा हुआ कि कोई जादूगर आया और उसने छड़ी घुमा कर यहां के गांव की तस्वीर ही बदल दी, उत्तराखंड को g20 सम्मिट की मेजबानी क्या मिली नरेंद्र नगर के छोटे से गांव ओणी का स्वरूप ही बदल गया , गांव उत्तराखंड के मॉडल गांव का भविष्य बन गया ।

 

विश्व के g20 ग्रुप से जुड़े हुए देशों के प्रतिनिधि इस गांव को देखने के लिए और यहां के जीवन को समझने के लिए इस गांव का दौरा कर रहे हैं , जिसकी तैयारी के लिए प्रशासन ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है विदेशी मेहमान यहां आएंगे यहां के जीवन को समझने का प्रयास करेंगे साथ ही यहां भोजन भी करेंगे ।

इसे सरकार की इच्छाशक्ति कहें या यहां के विधायक के अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को कराने की गति कहे जिसके चलते नरेंद्र नगर विधानसभा आज विश्व के नक्शे पर अपनी जगह बना रही है सड़कें चकाचक हो गई है पर्यटन क्षेत्र ढाल वाला मुनी की रेती में पार्किंग सहित सारी सुविधाएं आने वाले पर्यटकों को मिलनी शुरू हो गई है,जी 20 समिट की मेजबानी नरेंद्र नगर को मिलते ही जमीनी स्तर पर काम शुरू हो गए सबसे मजेदार बात यह रही कि पूरा g20 सम्मिट ऋषिकेश के नाम पर सुर्खियां बटोरता रहा लेकिन यहां के नागरिकों को जी 20 की जादुई छड़ी छूकर भी नहीं गई, करोड़ों रुपए का बजट आकर भी ऋषिकेश के कोई काम नहीं आया, काश यहां के नाम की कुछ कीमत g20 के बजट से सुविधाओं को निखारने के लिए मिल जाती तो यहां भी कुंभ के बजट का इंतजार नहीं करना पड़ता।

एक नजर विकास कार्यों पर…..

ओंणी गांव में 8 पॉली हाउस बनाये गये हैं. प्रत्येक में लगभग 300 कुक्कुम्बर सीड लेस पौधे रोपे गये हैं. राप्रावि ओंणी में विद्यालय प्रबन्धन समिति की बैठक आयोजित की जायेगी. स्कूल में माड्यूलर किचन, लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लास बनाई गई है.

*हर घर में पेयजल और विद्युत कनेक्श

*10-10 हजार लीटर क्षमता के दो नए पेयजल टैंक

*बिजली आपूति के लिए दो नए ट्रांसफार्मर लगाए गए हैं। नए पोल लगाने के साथ ही पूरे गांव में बंच केबल बिछाई गई है।

*गांव में महिलाओं व पुरुषों के लिए चार-चार सीट वाले दो नए शौचालय भी बनाए गए 

*सिंचाई के लिए लघु सिंचाई विभाग ने बोरिंग की है

*पशु पालन विभाग ने ग्रामीणों को कुक्कुट व मत्स्य पालन से भी जोड़ा है।

*गांव के सभी पशुओं की टैगिंग करने के साथ ही बीमा भी किया गया है।

*पर्यटकों के ठहरने के लिए गांव में होम स्टे भी बन रहे हैं

ऐसे में उत्तराखंड के अगर हर गांव को विकसित कर दिया जाए तो उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनते देर नहीं लगेगी और यहां पर्यटक कम कीमत में ग्रामीण क्षेत्रों का मजा उठा सकेंगे साथ ही पलायन पर भी रोक लग सकगी, लेकिन सवाल वही का वही है , ऐसे भी जी-20 की जादू की छड़ी कितने गांव के भाग्य में आती है या फिर सरकार सीरियसली ओनी गांव को मॉडल के रूप में लेकर उत्तराखंड की तस्वीर को बदलने का प्रयास करती है आपकी तरह हम सब भी इंतजार में बैठे हुए हैं

 

Krishna Rawat

Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

Related Articles

Back to top button
Translate »