किन्नरों की परंपरा, मसाने की होली
हरिद्वार में किन्नर अखाड़े ने हरिद्वार के खडखड़ी शमशान घाट पर खेली मसाने की होली
रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल
हरिद्वार , किन्नर समाज को मोदी सरकार के राज्य में मुख्य धारा में शामिल करने के लगातार प्रयास हो रहे है जिसके नतीजे भी अब राज्य से आने लगे लेकिन अभी भी किन्नर समाज के कई रीति रिवाज पर सुनी अनसुनी कहानियां समाज में बहुत ही कम सुनाई देती है, अब धीरे धीरे किन्नर समाज भी मुख्य धारा से जुड़ने पर धीरे धीरे अपने हक और अपनी परंपराओं को सामने रखकने लगा है, ऐसी ही एक परंपरा है मसाने की होली जिसे बड़ी श्रद्धा और आस्था से किन्नर समाज मानता है।
हरिद्वार में पहली बार किन्नर अखाड़े ने खड़खड़ी श्मशान घाट पर मसाने की होली खेली ,किन्नर समाज के लोगों ने श्मशान में चिताओं की राख से और रंग से होली खेली, किन्नरों को इस तरह से शमशान में चिताओं के सामने चिता की राख के साथ ठोल नगाड़े के साथ होली खेलते हुए देखकर लोग आश्चर्य चकित रह गए ,किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर भवानी के नेतृत्व में किन्नरों का दल खड़खड़ी श्मशान घाट पहुंचा, जहां उन्होंने सबसे पहले पूजा की फिर श्मशान में जल रही चिताओं की राख एक-दूसरे को लगाकर होली मनाई, हरिद्वार में पहली बार इस तरह से किन्नरों को होली मनाते देख लोग अचंभित हो गए, हालांकि बनारसऔर प्रयागराज के घाट पर मसाने की होली का आयोजन किया जाता रहा है और यहां पर पूरे पारम्परिक तरीके से मसाने की होली खेली जाती है ,इसके पीछे भगवान शिव विवाह की कथा भी बताई जाती है।
किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर मोनिका का कहना है कि आज किन्नर धाम हरिद्वार से मसाने की होली खेली गई हम सब किन्नर समाज के लोगों ने जाकर खूब धूम धड़ाके से होली मनाई और हम लोग हिंदू धर्म से हैं सनातन धर्म से है तो हम अपना पर्व बहुत अच्छे से मनाते हैं ,हमेशा से प्रयागराज में और कई शहरों में यह पर्व मनाया
जाता और इस वर्ष से इसकी शुरूवान हरिद्वार में भी हो चुकी है , बड़ी धूम धड़ाके से सारे किन्नर समाज के समुदाय के साथ यह होली मनाई गई,
सबको होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।
उन्होंने बताया की अब आगे हर साल इस तरह से होली का त्यौहार मनाया मसाने की होली खेलकर मनाया जायेगा
आम होली हम लोग घरों में मनाते हैं लेकिन हमारा किन्नर समाज जो शमशान पूजते हैं तो हम लोगों ने शमशान घाट पर चिता के आगे ही होली मनाई है और इसी तरीके से यह होली मनाई जाती है, जो इंसान का आखिरी स्थल है आदमी राम का नाम लेकर सनातन धर्म में और जब जाता है तो उसे शमशान घाट में ही जाना है एक न एक दिन चिता में जरूर जाना है , तो चिता के सामने ही यह होली मनाई गई है , इससे ज्यादा अच्छा कुछ नहीं हो सकता, यह असली घर है, पुरानी कथा तो जिस तरीके से चलती आ रही है कथाएं तो बहुत सारी है लेकिन यह किन्नर समुदाय का जो अस्तित्व खत्म होता जा रहा था , अब अस्तित्व जगा है रामराज आया है, अब राम राज्य में किन्नर को मान सम्मान मिला है किन्नर को एक नया नाम मिला है इससे ज्यादा नई कहानी और क्या हो सकती है।