ऋषिकेश एम्स से मिलेगी ड्रोन मेडिकल सुविधा
देश भर के एम्स संस्थान में पहला संस्थान बना ऋषिकेश एम्स जो ड्रोन को मेडिकल फैसिलिटी देने जा रहा है
रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल
ऋषिकेश ,उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाएं पहाड़ पर पहुंचाना सरकार के लिए चुनौती था ऋषिकेश एम्स ने पहाड़ों पर मेडिकल फैसिलिटी पहुंचाने के लिए ड्रोन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शुरू कर दिया है जिसका ट्रायल टिहरी और ऋषिकेश के बीच में किया गया , अब खबर विस्तार से…….
उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं पहाड़ पर पहुंचाना एक चुनौतीपूर्ण काम जिसके लिए अब ड्रोन तकनीक वरदान बनकर सामने आ रही है एम्स के निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने बताया कि ऋषिकेश एम्स देश के सभी आयुर्विज्ञान संस्थान में पहला ऐसा सेंटर बनने जा रहा है जो मेडिकल सुविधाओं को पहाड़ पर ड्रोन के द्वारा पहुंचएगा जिसकी शुरुआत आज ऋषिकेश से हो गई है , सुबह से ही ऋषिकेश एम्स में ऋषिकेश से टिहरी दवाई पहुंचाने के लिए ड्रोन की सुविधा का काम जोर-शोर से चल रहा था , एम्स की ड्रोन सेवा की शुरुआत करने जा रहे हैं
ऋषिकेश एम्स में ड्रोन सेवा के नोडल अधिकारी डॉ जितेंद्र गैरोला का कहना है कि उत्तराखंड जैसे हिमालय राज्य में सड़कों से मेडिकल सेवा पहुंचाना बड़ा मुश्किल काम हो गया है अब नई तकनीक के द्वारा कुछ ही समय में दवा ,ब्लड, मेडिकल फैसिलिटी, रिपोर्ट्स का आदान-पदान बहुत ही कम समय में किया जा सकता है , जिसकी शुरुआत आज हम ऋषिकेश से करने जा रहे हैं। इसमें हमें NHSRC की टीम टेक ईगल इनोवेशन कंपनी का सहयोग मिल रहा है।
ट्रेक ईगल इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा ऋषिकेश एम्स से टिहरी दवाई पहुंचाने का ट्रायल किया गया कंपनी के अधिकारी गौरव ने बताया कि अलग-अलग कैपेसिटी के ड्रोन मेडिकल फैसिलिटी में यूज हो सकते हैं जिन से दवाई के साथ-सथ अन्य उपकरणों को भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाए जा सकता है
ऋषिकेश एम्स हेलीपेड में आज एम्स निदेशक डॉक्टर मीनू सिंह ने बताया कि चिकित्सा के क्षेत्र में ड्रोन द्वारा दवाइयां व अन्य आवश्यक सैंपल को भेजने का पहला सफल परीक्षण किया गया। जिसमें उन्होंने एम्स ऋषिकेश से टिहरी बोरडी के लिए 2 किलो दवाइयों का सैंपल भेजा गया। 100 किलोमीटर करीब की इस यात्रा को द्रोण द्वारा मात्र 30 मिनट में दवाइयों के सैंपल भेज कर उत्तराखंड में पहली बार चिकित्सा क्षेत्र का एक नया कीर्तिमान रचा ।
आज के परीक्षण में इस्तेमाल किए गए ड्रोन की छमता 6 किलो वजन उठाने की है, और यह 100 किलोमीटर तक जा सकता है। इसके अलावा यहां 8 किलो वजन उठाने वाले और 200किलोमीटर जानें वाले ड्रोन का भी इस्तेमाल होगा। जिसका परीक्षण भी जल्द किया जायेगा