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कर लो नीलकंठ महादेव के दर्शन

सावन में नीलकंठ महादेव के दर्शन, यह वही स्थान है जहां पर समुद्र मंथन में निकले विष को विषपान करने के बाद भोलेनाथ को शांति मिली थी , और वह यहां पर शिवलिंग के रूप में विराजमान हो गए, देश-विदेश से लोग अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए पहुंचते हैं नीलकंठ महादेव बाबा करते हैं सब की मुराद पूरी

 

रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल

ऋषिकेश , ज्योतिष गणना के अनुसार पंचक खत्म होते ही शिव भक्तों का रेला उत्तराखंड पहुंचना शुरू हो गया है , वैसे तो उत्तराखंड की धरती पर कंण कण में शिव का वास है , लेकिन यहां के शिवालय हमेशा ही अपने भक्तों की मुराद पूरी करते आए हैं ।

ऋषिकेश के पौराणिक शिवालयों में सावन के पहले सोमवार पर सुबह से ही भारी भीड़ है बड़ी संख्या शिव भक्त अपने आराध्य की स्तुति कर जलाभिषेक कर रहे है ,ऋषिकेश पौराणिक मंदिर  चंद्रेश्वर ,वीरभद्र और नीलकंठ महादेव पर रौनक देखने लायक है नीलकंठ महादेव में  हजारो की संख्या से ज्यादा शिवभक्त सुबह से जल चढ़ा चुके हैं , लगातार शिवभक्त नीलकंठ महादेव मंदिर पहुंच रहे हैं देश के कोने-कोने से आए शिवभक्त कांवड़िए दर्शन के बाद काफी खुश हैं , कांवड़ में इस बार की व्यवस्थाओं को देखकर कावड़िए खुश नजर आ रहे है , कावड़ियो के स्वागत में जगह भंडारे और खीर बाटी जा रही है , वहीं उत्तराखंड मित्र पुलिस भी कावड़ व्यवस्था बनाने में पूरी मदद कर रही है।

मणिपुर पर्वत पर स्तित नीलकंठ महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि समुद्र मंथन से निकले विष को पीकर भगवान से बेचैन होकर घूमने लगे कंठ पूरा नीला पड़ गया और इस खतरनाक जहर का असर शिव को बेचैन करने लगा वह जगह-जगह भटकने लगे क्योंकि कंठ में विष धारण कर रखा था यही वह स्थान है जहां पर नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है यहां पर भगवान शिव को विषपान करने के बाद शांति मिली मणिपुर पर्वत पर जगह-जगह पानी के स्रोत उपलब्ध है, भगवान शिव के ऊपर विचारधारा गिरती रही और जहर से उत्पन्न आग धीरे-धीरे ठंडी पड़ती गई और यहां पर शिवलिंग के रूप में शिव ने अपना स्थान बना लिया।

देश के कोने कोने से हर साल शिव भक्त महादेव के दर्शन के लिए नीलकंठ महादेव पहुंचते हैं लेकिन सावन में प्रतिदिन लाखों की संख्या में देशभर के कावड़िए जलाभिषेक करते हैं इस बार सरकार का अनुमान है कि लगभग चार करोड़ के आसपास शिवभक्त हरिद्वार और ऋषिकेश पहुंचेंगे , जिसके लिए सरकारी व्यवस्थाओं के साथ-साथ भंडारों की व्यवस्था है अभी भक्त लोगों ने करी है ।

अगर आप भी भगवान भोले के नीलकंठ महादेव रूप का दर्शन करना चाहते हैं तो आप एक तो सड़क मार्ग से  मंदिर परिसर में पहुंच सकते हैं दूसरा थोड़ा कठिन और पैदल रास्ता है जहां से बड़ी संख्या में लोग जाते हैं जानकीपुल होते हुए गीता भवन स्वर्ग आश्रम के पीछे के रोड से नीलकंठ का पैदल भाग शुरू होता है ,यह रास्ता राजाजी नेशनल पार्क के जंगलों से होता हुआ गुजरता है रास्ते में ऋषिकेश और मां गंगा का भव्य स्वरूप देखने को मिलता है साथ ही जगह-जगह प्राकृतिक जलस्रोत अपनी छटा बिखेरते हैं और बादल आपकी थकान को दूर कर देते हैं अगर आप ट्रेकग के शौकीन हैं तो इस रास्ते का उपयोग करते हुए 16 किलोमीटर की चढ़ाई तय कीजिए और महादेव के दर्शन कीजिए , निश्चित तौर पर आपको यह रास्ता बेहद पसंद आएगा और आपकी यात्रा यादगार बन जाएगी ।

Krishna Rawat

Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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