उत्तराखंडऋषिकेशऋषिकेशदेहरादूनलेटेस्ट कवरेजस्वास्थ्य

एम्स ने संवारा चार पैर वाले विकृत बच्चे का जीवन – डाॅक्टरों की मेहनत लाई रंग, टीम वर्क से मिली सफलता – जन्म से ही थे चार पैर

– एम्स ने संवारा चार पैर वाले विकृत बच्चे का जीवन

– डाॅक्टरों की मेहनत लाई रंग, टीम वर्क से मिली सफलता

– जन्म से ही थे चार पैर

ऋषिकेश– यह किसी चमत्कार से कम नहीं। मां के गर्भ से जन्म लेते समय से ही जिस बच्चे के चार पैर थे और शरीर भी विकृत था, उसे एम्स ऋषिकेश के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने सर्जरी के माध्यम से एक सुविकसित और सुडौल स्वरूप दे दिया। असामान्य शरीर वाला यह बच्चा अब सामान्य बच्चों की तरह जीवन जी सकेगा।

 

9 माह के इस बच्चे के माता-पिता 6 मार्च 2024 को बच्चे को लेकर जब एम्स ऋषिकेश की पीडियाट्रिक सर्जरी की ओपीडी में पहुंचे तो मासूम बच्चे के स्वरूप को देकर हर कोई चौंक गया। अविकसित और विकृत स्वरूप की वजह से न केवल इस बच्चे के मां-पिता परेशान थे अपितु बच्चा भी शारीरिक तौर से बहुत कष्ट में था। पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की हेड और एम्स की चिकित्सा अधीक्षक प्रो. सत्या श्री ने बताया कि बच्चे के दो पैर सामान्य थे,जबकि दो अन्य पैर असामान्य स्थिति में थे। इसके अलावा उसकी रीढ़ की हड्डी के ऊपरी पृष्ठ में एक बड़ी सूजन भी बनी थी। बच्चे का जन्म यूपी के मुजफ्फरनगर में हुआ है। माता-पिता की यह चौथी संतान है। बच्चे की विकृत अवस्था देख पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के सर्जन डाॅक्टरों की टीम ने बच्चे के शरीर को सुविकसित बनाने के लिए व्यापक स्तर पर मेडिकल तैयारी की और अन्य संबन्धित विभागों के डाॅक्टरों से भी आवश्यक सलाह-मशवरा कर योजना को अन्तिम रूप दिया।

 

पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग की सर्जन डाॅ. इनोनो योशू ने इस बारे में बताया कि यह कार्य किसी चुनौती से कम नहीं था। इसके लिए बच्चे की विभिन्न प्रकार की भौतिक और आन्तरिक जांचें करने के बाद लंबे समय तक चिकित्सीय कार्य योजना पर मंथन किया गया और अन्य विभागों के सहयोग से सर्जरी को अन्तिम रूप दिया गया। उन्होंने बताया कि सामान्य व्यक्ति के शरीर में दो किडनी होती हैं लेकिन इस बच्चे के शरीर में किडनी भी एक ही है। ऐसे में लगभग 8 घन्टे तक चली बेहद जटिल सर्जरी के दौरान सर्जिकल टीम को बच्चे के जीवन से संबन्धित तमाम मामलों में बहुत गंभीरता बरतनी पड़ी। सर्जरी के 3 सप्ताह तक बच्चे को चिकित्सीय टीम की निगरानी में रखने के बाद स्थिति पूरी तरह सामान्य पाए जाने पर उसे कुछ दिन पहले अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है।

 

संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने सर्जरी करने वाले डाॅक्टरों की टीम की सराहना की है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा किया गया यह कार्य किसी उपलब्धि से कम नहीं

सर्जरी टीम में इन विभागों के डाॅक्टर थे शामिल-

पीडियाट्रिक सर्जरी, पीडियाट्रिक विभाग, ऑर्थोपेडिक, प्लास्टिक सर्जरी, न्यूरो सर्जरी, इन्टरवेशन रेडियोलाॅजी और एनेस्थेसिया विभाग।

 

 

दूसरा भ्रूण रह गया अविकसित

जन्म के समय इस बच्चे को देख परिवार वाले घबरा गए थे। पहले उन्होंने बच्चे को मुजफ्फरनगर के विभिन्न अस्पतालों में दिखाया। एम्स के चिकित्सकों का कहना है कि इस बच्चे को जुड़वां होना था, लेकिन मां के गर्भ में विकसित होते समय कुछ विकृति आ गई। शायद एक भ्रूण का विकास हुआ लेकिन दूसरा भ्रूण अविकसित रह गया। दूसरे बच्चे का गर्भ में केवल शरीर का नीचे का हिस्सा ही बन पाया। वह शरीर भी पहले बच्चे में जुड़ता चला गया। इसलिए यह बच्चा विकृत स्वरूप में पैदा हुआ।

Krishna Rawat

Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

Related Articles

Back to top button
Translate »