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हिमालय की ऊंचाई पर एक अनूठी होली

उत्तरकाशी जिले में आज के दिन खेली जाती है दूध और मक्खन की होली , पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है यह परंपरा , दयारा बुग्याल में देखने लायक होते हैं इस बेटर फेस्टिवल के रंग , राधा कृष्ण के संग

रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल

उत्तरकाशी, (17 अगस्त )

हिमालय की ऊंचाइयों पर घास के मैदाने के बीच मनाई जाती है मक्खन की होली जी हां उत्तरकाशी जिले में दयारा बुग्याल में इस त्यौहार को मनाने की परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है , कहते हैं यह पूरा क्षेत्र भगवान कृष्ण की लीलाओं का से जुड़ा रहा है हर साल इस उत्सव को मानने के लिए यहां बड़ी संख्या में देशी विदेशी पर्यटक भी पहुंचते हैं। लेकिन इस बार कोर्ट की बंदिशों के चलते सिर्फ स्थानीय लोगो ने उत्सव का आनंद लिया,  अब खबर विस्तार से……

बात करे 28 वर्ग किलोमीटर में फैले दयारा बुग्याल में इस बार बटर फेस्टिवल उच्च न्यायालय के बंदिशों के अनुसार पारंपरिक रूप से मनाया गया है।

उत्तराखंड में कई ऐसे पर्व और तीज त्यौहार हैं ,जो प्रकृति से जुड़े हैं , अढूंडी उत्सव भी शामिल है , उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल में अढूंडी उत्सव यानी बटर फेस्टिवल मनाया गया है, यह पर्व पूरी तरह से प्रकृति को समर्पित है आपको बता दे इस बटर फेस्टिवल में दूध, दही और मक्खन की होली खेली गई जो अपने आप में उत्तराखंड की अनूठी होली है जो इतनी ऊंचाई पर खेली जाती है।

 

अब बात मेले का शुभारंभ समेश्वर देवता के सानिध्य में हुआ। इस दौरान बुग्यालों की वादियों में पांडव नृत्य भी आयोजन किया गया। इसके बाद पशुवा पर अवतरित हुई और स्थानीय लोगों को आशीर्वाद दिया। बाद में पारंपरिक रूप से राधा -कृष्ण संग मटकी तोड़ हुई दूध मक्खन की होली खेली गई। इस दौरान बुग्याल की मखमली घास पर रासों नृत्य में ग्रामीण खूब झूमते नज़र आये।

11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित दयारा बुग्याल उत्तरकाशी से लगभग 42 किलोमीटर दूर है, यहां के ग्रामीणों द्वारा सदियों से भाद्रपद माह की संक्रांति दूध, मक्खन, मट्ठा की होली खेलकर मनाई जाती है। यहां प्रकृति का आभार जताने के लिए आयोजित किये जाने वाले इस फेस्टिवल को दयारा पर्यटन उत्सव समिति और ग्राम पंचायत बीते कई वर्षों से मनाती आ रही है।

देश-विदेश के पर्यटक इस अनूठे उत्सव का हिस्सा बनते आ रहे हैं, लेकिन इस बार उच्च न्यायालय की गाइड लाइन के अनुपालन बाहरी पर्यटक भले ही दयारा बटर फेस्टिवल के दीदार नहीं हो सके। न्यायालय के बंदिशों के अनुसार स्थानीय लोगों ने बटर फेस्टिवल बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया है।

दोस्तों उत्तराखंड की संस्कृति और प्राचीन परंपराएं यहां से मिली और त्योहारों में अपनी एक अलग ही दुनिया बसाए हुए हैं , जो पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी परंपरा को जिंदा रखते हुए हैं पहाड़ दस्तक समय-समय पर आपके लिए उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को अपने प्लेटफार्म पर लाता रहता है ताकि संस्कृति किसी ना किसी रूप में संचारित होती रहे ।

Krishna Rawat Dobhal

Awarded by Bjp mahila morcha on international women's day for the field of Journalism, Nari shakti samman by Mahila Ayog(2023),Gauradevi saman 2014,Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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