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ऐसा मंदिर जिसमें आज के दिन दर्शन करने से मिलता है बद्रीनाथ यात्रा का पुण्य
ऋषीकेश नारायण भरत भगवान की १०८ परिक्रमा से मिलता है भगवान बदरीनाथ के दर्शनों का पुन्य। एक ऐसा मंदिर जहाँ की परिक्रमा से मिलता है बद्रीनाथ धाम के दर्शनों के बराबर पुण्य--
रिपोर्ट_ कृष्णा रावत डोभाल
अक्षय तृतीया परम्परा – ऋषीकेश नारायण भरत भगवान की 108 परिक्रमा से मिलता है भगवान बदरीनाथ के दर्शनों का पुन्य। एक ऐसा मंदिर जहाँ की परिक्रमा से मिलता है बद्रीनाथ धाम के दर्शनों के बराबर पुण्य
एक ही शिलाखण्ड से बनी है दोनों मूर्ति भगवान् भरत और बद्रीनाथ भगवान् की

ऋषिकेश – उत्तराखंड में बेसाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को पड़ने वाले अक्षयतृतीया पर्व का विशेष महत्व है धर्म ग्रंथो और पुराणो के अनुसार आज ही के दिन सतयुग का प्रारभ हुआ था , वैष्णव परम्परा से जुड़े पोरानिक मंदिरों में इस दिन भगवान् विष्णु के विशेष पूजन- आराधना का विधान है ऋषीकेश के 7 -8 वी सदी के पोरानिक भरत मंदिर में आज के दिन १०८ परिक्रमा करने से भगवान् बदरीनाथ के दर्शनों के समान पुन्य का लाभ मिलता है. ऋषीकेश के सबसे प्राचीन मंदिर भरत मंदिर के महंत वत्सल प्रपन्नाचार्य ने बताया कि ऋषिकेश में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है, सातवी शताब्दी में शन्कराचार्य द्वारा पुनह स्थापित ऋषीकेश नारायण भरत मंदिर से जुडी एक प्राचीन मान्यता अक्षय तृतीया को यहाँ की १०८ परिक्रमा करके भगवान बदरीनाथ के दर्शन के समान पुन्य मिलता है. यही कारण है की अक्षय तृतीया के दिन सुबह से ही यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगती है। मान्यता है कि जो लोग भगवान बदरीनाथ के दर्शन नहीं कर पाते वो आज के दिन ऋषीकेश नारायण की परिक्रमा करके वहा के सामान पुन्य लाभ अर्जित करते है।

ऋषीकेश के इस मंदिर पर लगातार मुगलों का आक्रमण होता रहा ,मुगलों ने यहाँ की मूर्तियों को खंडित भी किया , शंकराचार्य ने इस मंदिर की पुनह प्राण प्रतिस्था कर यहाँ मूर्ति स्थापित की , यहाँ की ऋषीकेश नारायण की मूर्ति , तिरुपति बालाजी और बदरीनाथ भगवान की मूर्ति एक ही पाषणशिला से निर्मित है. आज के दिन देश के कोने -२ से आकर श्रद्धालु यहाँ परिक्रमा करते है और भगवान् बदरीनाथ के दर्शनों का पुन्य प्राप्त करते है। आज का दिन दो धामों गंगोत्री और यमनोत्री के कपार्ट खुलने के साथ -साथ यात्रा के सुभारम्भ का भी दिन माना जाता है. आज ही यात्री गंगा स्नान कर चार धाम की यात्रा का सुभारम्भ ऋषीकेश नारायण का आशीर्वाद लेकर शुरु करते है।