उत्तराखंड मूल के और उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकार स्वप्निल ममगाई को केंद्र में अहम जिम्मेदारी, ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमाओं की सुरक्षा को पुख्ता करने में जुटा गृह मंत्रालय

रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल
देहरादून, ऑपरेशन सिंदूर के बाद गृह मंत्रालय पैरा मिलिट्री फोर्स को मजबूती प्रदान करने के लिए हर दिशा में काम कर रहा है जिस से देश का कोई भी दुश्मन भारत में नापाक इरादे ले कर घुस ना सके और सीमाएं पहले से ज्यादा चौकस और अलर्ट रहे जिस से कोई परिंदा भी पर ना मार सके।
इसी क्रम में उत्तराखंड मूल और उत्तर प्रदेश कैडर के तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी स्वप्निल ममगाई को केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. उन्हें गृह मंत्रालय के अंतर्गत सीमा सुरक्षा बल के उप महानिरीक्षक यानी डीआईजी जैसे अहम पद की जिम्मेदारी दी गई है, ये विभाग सीधे तौर पर गृहमंत्री अमित शाह के निगरानी में आता है, उन्हें ये जिम्मेदारी प्रतिनियुक्ति के आधार पर दी गई है।मंत्रालय की ओर से इस संबंध में नियुक्ति पत्र जारी कर दिया गया है।
स्वप्निल ममगाई यूपी कैडर के 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और बहुत तेज तर्रार अफसरों में गिने जाते हैं, कुछ समय पहले ही वो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए योग्य पाए गए थे, जिसके बाद अब उन्हें बीएसएफ के डीआईजी पद पर नियुक्त किया गया है, ये नियुक्ति अगले पांच साल के लिए होगी या फिर नया आदेश जारी होने तक रहेगी ।
गौरतलब है कि आईपीएस स्वप्निल ममगाई वर्तमान समय में पीएसी मेरठ सेक्टर में डीआईजी पद पर तैनात हैं, उनके अनुभव को कार्यकुशलता को देखते हुए उन्हें सीमा सुरक्षा बल की जैसे अहम केंद्रीय बल की जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें अपने करियर में अनुशासन, संवेदनशील पुलिसिंग और प्रभावी नेतृत्व के लिए जाना जाता है. उनका सर्विस रिकॉर्ड भी बेहद शानदार रहा है. उनकी नियुक्ति को लेकर केंद्रीय गृहमंत्रालय की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को औपचारिक पत्र भेजा गया है, जिसमें उन्हें जल्द से जल्द कार्यमुक्त करने को कहा गया है ताकि वो अपनी नई जिम्मेदारी को संभाल सकें ।
एक नज़र स्वप्निल मंमगाई के कार्यशैली पर __
स्वप्निल ममगाई मूल रूप से उत्तराखंड के देहरादून के रहने वाले हैं. उनका जन्म 4 अक्टूबर 1980 को हुआ था, उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स में बीटेक किया है, वह सीबीसीआईडी लखनऊ में भी तैनात रहे हैं. 2016 में बतौर एसपी उनकी पहली पोस्टिंग बलरामपुर में हुई थी. मेरठ, मुरादाबाद समेत अन्य तैनातियों के दौरान उन्होंने बेहद कार्यकुशलता के साथ अपना काम किया और पुलिसिंग व्यवस्था को बेहतर बनाने के साथ उन्होंने ईमानदारी की अलग छाप छोड़ी है।