योगी संघ का आशीर्वाद मिलते ही बंदिशे तोड़ने और खुद को सिद्ध करने में जुटे, बदले मंत्रियों के प्रभार

रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल
लखनऊ, योगी सरकार के लिए और खासकर भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश में होने जा उप चुनाव करो या मरो का सबब बनने जा रहे है लोकसभा में पार्टी की अंदरूनी कलह ने उत्तर प्रदेश में भाजपा की जमीन को हिला कर रख दिया है, विपक्ष लंबे समय की छटपटाहट के बाद अब खुलकर मैदान में उतरा है, योगी को संघ का आशीर्वाद मिलते ही बंदिशे तोड़ने और खुद को सिद्ध करने का मौका मिला है, जिस पर योगी कोई भी कोताही बर्दाश्त नहीं करना चाहते और एक्शन मोड में आते ही सबसे पहले उप चुनाव के लिए टीम तैयार करने में जुट गए हैं। अब खबर विस्तार से…
लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम न आने और विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव की तैयारियों को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रभारी मंत्रियों के जिलों में फेरबदल किया है। इसमें 75 में से 73 जिलों के मंत्रियों के प्रभार बदले गए हैं।
सीएम ने खुद के साथ दोनों उप मुख्यमंत्रियों केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को 25-25 जिलों की समीक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है। प्रभारी मंत्रियों के प्रभार में हर चार महीने में रोटेशन के आधार पर बदलाव होगा। सीएम बृहस्पतिवार को अपने आवास पर मंत्रियों के साथ बैठक कर रहे थे।
योगी ने सभी मंत्रियों को महीने में एक बार जरूर 24 घंटे प्रभार वाले जिलों में प्रवास करने और प्रत्येक महीने कोर कमेटी से चर्चा करके शासन में संबंधित विभाग व सीएम कार्यालय के सामने विस्तृत रिपोर्ट तैयार पेश करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल लोकसभा चुनाव का परिणाम का आने के बाद से सरकार और संगठन में बदलाव के कयास लगाए जा रहे थे।
संगठन स्तर पर तो कोई खास कदम नहीं उठाए गए, पर सरकार ने पहली बार बड़ा फैसला करते हुए मंत्रियों के प्रभार में बदलाव करते हुए उन्हें जमीनी स्तर पर काम करने को कहा है। बदलाव में 18 में से 12 कैबिनेट मंत्रियों और स्वतंत्र प्रभार वाले 14 में से 12 मंत्रियों को दो-दो जिलों का प्रभार दिया गया है। शेष मंत्रियों को एक-एक जिला मिला है।
पीलीभीत के प्रभारी मंत्री बलदेव औलख और मिर्जापुर के नंद गोपाल नंदी ही प्रभारी रहेंगे। बैठक में दोनों डिप्टी सीएम के अलावा सभी मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल भी शामिल हुए।