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उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड का गठन इस्लामिक धार्मिक शिक्षा देने के उद्देश्य से

ऐसे में मदरसों में हिंदू बच्चों को पढ़ाया जाना आपराधिक षड्यंत्र

रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल

उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड का गठन इस्लामिक धार्मिक शिक्षा देने के उद्देश्य से एक कानून के तहत हुआ , ऐसे में मदरसों में हिंदू बच्चों को पढ़ाया जाना आपराधिक षड्यंत्र_ प्रियंक कानूनगो , अध्यक्ष,राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के

देहरादून , उत्तराखंड में सरकारी मदद और मान्यता से चल रहे मदरसों में अभी भी 96 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं। उत्तराखंड के दौरे पर आए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी।आयोग को पूर्व में भी ऐसी जानकारी मिली थी, तब ऐसे बच्चों की संख्या 749 थी। उन्होंने कहा कि संविधान में स्पष्ट है कि किसी भी बच्चे को उसके माता-पिता की लिखित अनुमति के बिना किसी दूसरे धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती।

उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड का गठन इस्लामिक धार्मिक शिक्षा देने के उद्देश्य से एक कानून के तहत हुआ है। ऐसे में मदरसों में हिंदू बच्चों को पढ़ाया जाना आपराधिक षड्यंत्र प्रतीत होता है। इसमें शिक्षा और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, दोनों बराबर के भागीदार हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को इस मामले में 15 दिन का समय दिया गया है।
देहरादून के कारगी ग्रांट में तीन मदरसों का निरीक्षण किया। इनमें दो मदरसों वली उल्लाह दहलवी और दारूल उलूम में 21 बच्चे ऐसे पाए गए, जिन्हें उत्तर प्रदेश व बिहार से यहां लाकर शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित रखा गया है। एक मदरसा ऐसा भी मिला, जो स्थानीय बच्चों को शुल्क लेकर पढ़ा रहा था। जांच में बात सामने आई कि उसका एक स्थानीय स्कूल के साथ टाइअप है।
इस तरह का टाइअप शिक्षा के अधिकार के कानून की परिधि से बाहर है। इससे साफ है कि शिक्षा विभाग में किसी न किसी स्तर पर गड़बड़ी व भ्रष्टाचार है। इसी के चलते ऐसे अवैध टाइअप चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन मदरसों के बच्चे डाक्टर, इंजीनियर आदि बनने के स्थान पर मुफ्ती, मौलवी बनना चाहते हैं। अल्पसंख्यक बच्चों के साथ इस प्रकार का भेदभावपूर्ण व्यवहार खेदजनक है।
साथ ही दूसरे राज्यों के बच्चों को यहां लाकर मदरसों में रखना गलत व अपराध की श्रेणी में आता है। जो बच्चे लाए गए हैं, उन्हें वापस पहुंचाने को भी कदम उठाए जाएंगे। इसलिए इस प्रकरण में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली पहुंचकर इस मामले में नोटिस भी जारी किए जाएंगे।
कानूनगो के अनुसार अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने जानकारी दी कि मदरसों की मैपिंग में जिलों के डीएम सहयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयोग अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य के सभी डीएम को दिल्ली बुलाकर स्पष्टीकरण मांगेगा कि अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग में हीलाहवाली क्यों की जा रही है।राज्य में अवैध रूप से संचालित मदरसों की संख्या 400 से अधिक है। जितने भी अवैध मदरसे हैं, इन्हें बंद करना होगा। प्रत्येक बच्चे को स्कूल भेजना सरकार की जिम्मेदारी है। जो बच्चे मदरसों में हैं, उन्हें भी शिक्षा मिलनी चाहिए। इसके लिए पहले मैपिंग होनी आवश्यक है और इस क्रम में 10 जून तक समय दिया गया है।

Krishna Rawat

Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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