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टेक्नोलॉजी का प्यार के अहसास असर

संदेश के आदान प्रदान का वो नीला और पीला कागज का टुकड़ा अब भी घरों की सुरक्षित जगहों पर सामान के नीचे दबा हुआ पुरानी यादों को कर जाता है ताजा

रिपोर्ट _ हरीश भट्ट /कृष्णा रावत डोभाल

ऋषिकेश,9 अक्टूबर , दोस्तों कभी अपने घरों में उन संदूको को खोलिए, उन जगहों पर झांकीये जहां आपकी पहली पीढ़ी अपने सामान को संजोकर रखती थी, मुझे यकीन है आपको आज भी उन बंद संदूको में एक दिल को छूने वाली सीलन और मिट्टी की गंध के बीच आपको पिला पोस्टकार्ड या नीले रंग का अंतर्देशीय कार्ड जरूर मिलेगा जिसमें जुड़ी होगी आपके परिवार की कुछ अहम यादें , एक बार उन यादों को पढ़कर आप भी उसे पुराने दौर में पहुंच जाएंगे , जहां चिट्ठी और पत्रि का विशेष महत्व हुआ करता था और वह यादें आज भी बंद संदूको में अपने होने का एहसास करा कर पीढ़ी दर पीढ़ी इतिहास के लम्हों को आपके सामने ले आएगी, आईये दोस्तों शुरुआत करते हैं टेक्नोलॉजी के विकसित दौर में पीछे छूट गए यादों के दस्तावेजों की…….

डाकिया डाक लाया, डाक लाया
खुशी का पयाम, कहीं दर्द नाम
डाकिया डाक लाया।।
सुपर स्टार राजेश खन्ना की फिल्म का यह गाना तो आपने सुना ही होगा। साल 1977 में जब यह फिल्म रिलीज हुई उस समय एक-दूसरे की कुशल-क्षेम पूछने का यही सर्वोत्तम तरीका था। एक चिट्ठी के इंतजार में दिनों-महीनों निकल जाते थे। फिर कहीं डाकिया दिख जाए तो पूछ-पूछकर उसे परेशान कर दिया जाता था कि हमारी चिट्ठी आयी या नहीं। उस दौर में इनकी धमक थी। अब व्हाट्सएप और वीडियो कॉलिंग के दौर में इनको कौन पूछता है? हर साल 9 अक्टूबर को देश में विश्व डाक दिवस मनाया जाता है। विश्व डाक दिवस ‘यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ के गठन के लिए 9 अक्टूबर 1874 को स्विटजरलैंड में 22 देशों ने एक संधि की थी। उसके बाद से हर साल 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। भारत एक जुलाई 1876 को ‘यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन’ का सदस्य बना था। पहाड़ दस्तक की ओर से आपको विश्व डाक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

Krishna Rawat

Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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