उत्तराखंड में बढ़ गई बाघों की संख्या
नई टाइगर गणना में उत्तराखंड में बढ़ गए टाइगर, 560 बाघ हो गए कॉर्बेट और राजा जी क्षेत्र में
ऋषिकेश/रामनगर, आज हम 13 वां अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मना रहे हैं। विश्व स्तर पर बाघों के संरक्षण व उनकी लुप्त हो रही प्रजाति को बचाने के लिए जागरूकता फैलाना ही इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य है।
दोस्तो अब मन में सवाल आता है कि इसकी शुरुआत कैसे और कब हुई _
साल 2010 में रूस के पीटर्सबर्ग में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस में प्रत्येक वर्ष की 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस (International Tiger Day) मनाने का निर्णय लिया गया। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बाघों की आबादी वाले 13 देशों ने हिस्सा लिया। सभी से 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करने का लक्ष्य दिया है।
यहां ध्यान देने वाली बात है कि भारत इकलौता देश है, जिसने इस लक्ष्य से 4 साल पहले 2018 में ही ये टारगेट पूरा कर लिया था, 2018 में इंडिया में टाइगर की संख्या 2967 से ज्यादा हो चुकी है। अभी 2022 की एनटीसीए की गणना के आंकड़े आज रामनगर में राज्यवार जारी हो रहे है।
दोस्तों अब बात करते है भारत में कितनी टाइगर की प्रजाति
देश में बाघों की आठ प्रजातियां हुआ करती थीं पर अब सिर्फ 5 प्रजातियां ही पाई जाती हैं। ये पांचों हैं साइबेरियन, बंगाल टाइगर, इंडोचाइनीज, मलयन व सुमत्रन।
भारत में बाघों की राज्यवार संख्या क्या है
2018 की गणना के अनुसार देश में सर्वाधिक बाघ 526 मध्यप्रदेश में पाए जाते हैं। इसे टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त है। वन्यजीव विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले 2022 के आंकड़ों में यह संख्या 700 तक हो सकती है।