रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल
ऋषिकेश , प्राचीन स्वयंभू सोमेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में हो रही दिव्य श्री राम कथा में आज अष्टम दिवस की कथा में संत श्री लक्ष्मी नारायण नंद जी महाराज ने सीता हरण की कथा श्रवण कराते हुए कहा कोई भी व्यक्ति कुछ क्षण के लिए छल कपट करके अपने काम को पूर्ण कर सकता है परंतु छल कपट द्वारा किया हुआ कार्य इसकी उम्र अधिक नहीं होती इसीलिए रावण ने छल कपट करके सीता हरण किया उसका परिणाम उसको अपनी मृत्यु से चुकाना पड़ा, कथा श्रवण कराते हुए यह भी कहा जिस प्रकार रावण मां सीता का हरण करके ले गया उसी प्रकार आज भी समाज में कुछ रावण कुबुद्धि के राक्षस है जो भोली भाली माता बहनों को अपनी बातों में बहला-फुसलाकर रावण जैसा कुकर्म कर रहे हैं इसलिए माता बहनों से प्रार्थना की कि आप जो भी करें सोच समझकर के करें अपनी सुरक्षा अपने हाथ में है, कथा श्रवण कथा कराते हुए यह भी कहा जिस प्रकार प्रभु श्रीराम सोने की हिरण देख कर के उसके पीछे दौड़े उसी प्रकार भगवान श्रीराम हमें संकेत कर रहे हैं कि जीवन में जो वस्तु अधिक चमकीली हो अथवा सुंदर आकर्षक हो उसके शीघ्रता में लिया गया कोई भी फैसला जीवन में केवल दुख ही देता है, इसलिए हर चमकती हुई वस्तु सोना नहीं होती, एवं शबरी की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि जिस प्रकार परमात्मा ने शबरी को नवधा भक्ति का उपदेश दिया भगवान नवधा भक्ति से हमें भी यह संकेत करना चाहते हैं कि 9 प्रकार की भक्ति है उसमें हम किसी भी एक राह पर चल करके अपने जीवन को सुखमय आनंदमय बना सकते हैं नवधा भक्ति मत का अर्थ है जीवन में 9 प्रकार के रास्तों पर चलना जिस पर चलकर के हम एक सरल सुखद और आनंदमय जीवन का लाभ ले सकते हैं बाली एवं सुग्रीव की कथा श्रवण कराते हुए कहा कि सुग्रीव बाली में युद्ध हो रहा था सुग्रीव की दृष्टि भगवान श्रीराम पर थी और बाली की नहीं थी कथा का यह अर्थ है कि हम जीवन में कोई भी कार्य करें परंतु अगर हमारी दृष्टि परमात्मा की ओर है तो जीवन के हर युद्ध में हर कार्य में सफलता उसी की होगी जिसकी दृष्टि भगवान की ओर से भगवान के चरणों में हे भगवान की कथा में है और अपने धर्म कार्य में है