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एक डीएम ऐसा जो बदल रहा है पहाड़ की तस्वीर

टिहरी के डीएम डा.सौरभ गहरवार की कहानी_ डीएम के साथ ही डॉक्टर बनकर समाज सेवा करते हैं। अब इनको डीएम कहें या फिर डॉक्टर जो भी कहें मगर इन्होंने अपने इस जिम्मेदार व्यवहार की वजह से अपना नाम उत्तराखंड के काबिल और ईमानदार अफसरों की फेहरिस्त में शामिल कर लिया है

 

रिपोर्ट _ कृष्णा रावत डोभाल

टिहरी, उत्तराखंड राज्य एक ऐसा राज्य है जहां नेताओं की तो भरमार है लेकिन नेताओं के पलायन की भी कहानी किसी से नहीं छिपी है , राज्य निर्माण के बाद से नेताओं ने देहरादून में बड़ी-बड़ी कोठियां बनाकर अपने मूल गांव को छोड़ दिया जहां से जीते वहां की जनता के लिए कभी मुड़कर भी नहीं देखा हालात यह है कि पहाड़ों पर कुछ बचे कुचे पहाड़ वासियों के हिस्से में दुख और तकलीफ है लगातार बढ़ती रही , शिक्षा स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाएं हमेशा पहाड़ वासियों के लिए दूर की कौड़ी बना रहा , लेकिन कुछ अधिकारियों ने पहाड़ वासियों के दुखों को दूर करके अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है , आज पहाड़ दस्तक आपको मिला रहा है , आले वाले डीएम साहब से जो टिहरी में पहाड़वासियों के लिए वरदान बन कर आए है, आइए जानते हैं डॉक्टर सौरभ गहरवार के बारे में वो कैसे जिलाधिकारी होते हुए अपने कार्यों के साथ साथ मानवता से जुड़े अपने मूल पेशे के कर्तव्य को निभा रहे हैं , जो आजकल कहीं भी नहीं दिखता ।

उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल किसी से भी छिपा नहीं है , लगातार सरकार पहाड़ों पर स्वास्थ्य सेवाएं दुरस्त कराने के प्रयास और दावे तो करती है लेकिन क्या करें जब डॉक्टर और टेक्नीशियन पहाड़ पर रहना ही नहीं चाहते और अच्छे पैसे की चाहत में ऊंची पहुंच के चलते मैदानों में जमे रहते है, ऐसे में पहाड़ वासी की सुध आखिर कौन ले , तक अगर जिले का सबसे बड़ा अधिकारी डीएम साहब खुद मरीजों के ईलाज के लिए उतर पड़े तो आप क्या कहेंगे।

किस्सा टिहरी के बेलेश्वर सीएचसी …

टिहरी जिले के बेलेश्वर सीएचसी को पीपी मोड़ में सरकार ने हिमालयन इंस्टिट्यूट को सौप दिया था, लेकिन वहां की स्वास्थ्य सुविधाएं धीरे धीरे लचर होते हुई पटरी से उतर गई है, बीते दो माह से वहां रेडियोलाजिस्ट उपलब्ध नहीं है, जिसके चलते वहा की महिलाओं और मरीजों को ऋषिकेश देहरादून की दौड़ लगानी पड़ती है

आलम यह है कि महिलाओं को अल्ट्रासाउंड कराने सहित अन्य बीमारियों के इलाज के लिए श्रीनगर, ऋषिकेश और देहरादून तक की दौड़ लगानी पड़ती है। लेकिन, डॉक्टर डीएम सौरभ गहरवार की जिले में तैनाती ने माहौल को बदल दिया है। बेलेश्वर के लोगों को फिलहाल डीएम डॉ. सौरभ गहरवार ने खुद लोगों का दर्द दूर करने की जिम्मेदारी उठाई है। अल्ट्रासाउंड कर रहे हैं। अब लोगों को राहत है। डीएम ने एक दिन में 80 महिलाओं का अल्ट्रासाउंड किया। इसकी जबर्दस्त चर्चा हो रही है।

कौन है डीएम सौरभ….

डीएम के साथ ही डॉक्टर बनकर समाज सेवा करते हैं। अब इनको डीएम कहें या फिर डॉक्टर जो भी कहें मगर इन्होंने अपने इस जिम्मेदार व्यवहार की वजह से अपना नाम उत्तराखंड के काबिल और ईमानदार अफसरों की फेहरिस्त में शामिल कर लिया है।

सौरभ ने एमबीबीएस की पढ़ाई बीएचयू से की। इसके बाद एम्स दिल्ली से एमडी किया। वर्ष 2016 बैच के आईएएस हैं। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं का नौ माह के दौरान कम से कम दो बार अल्ट्रसाउंड हो जाए, तो काफी हद तक गर्भ में शिशु की ग्रोथ का अनुमान लग जाता है। जब बेलेश्वर सीएचसी में अल्ट्रासाउंड मशीन होने के बाद भी महिलाओं की परेशानी का मामला सामने आया तो उचित ऐक्शन लिया।

ऐसे अधिकारी को पहाड़ दस्तक की शुभ कामनाएं जो ईमानदारी से प्रशासनिक और सामाजिक जिम्मेदारी निभा रहे है, अगर राज्य में इस तरह के अधिकारी ओर हो जाए तो जल्द ही राज्य की तस्वीर बदल जाएगी।

 

Krishna Rawat

Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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