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पितरों का पर्व श्राद्ध , कैसे करे, कब करे श्राद्ध

आज से शुरू हो रहे हैं श्राद्ध , पितरों के पर्व की परंपरा , क्यों और कैसे मनाए जाते हैं श्राद्ध

रिपोर्ट _कृष्णा रावत डोभाल

ऋषिकेश , ऋषियों और मुनियों ने मनुष्य जीवन का गहन अध्यन कर के जीवन और
मृत्यु के रहस्य को आत्मा अजर अमर है इसके रहस्य को खोज निकला , और अपने
पुरखो और 
पितरों को सस्कार के माध्यम से एक विशेष सस्कार में बांधा जिसे
श्राध कहते है श्राध 
पितरों का पर्व है जिस में पितरों को पूजा जाता है और
उनका आशीर्वाद नयी पीढी को  सुख-स्म्रिधि के रूप में मिलता है . श्राध
करने के लीये क्या-क्या करना होता है

यह है पितरों के पर्व की तिथियां__

हिन्दू धर्म की आस्था की नीव है श्राध .  जिस में वर्तमान पीढ़ी अपने पितरों को अपनी श्रद्धा के साथ पूजते है वैदिक दर्शन के अनुसार श्राध का सबसे मुख्य तत्व है श्रद्धा प्रेम और विस्वास और समर्पण भाव के
साथ दिखाई जाती है ,मान्यता है कि ब्राह्मण  के माध्यम से काले  तिल और जौ से गंगा तट पर  किया गया  तर्पण ही सर्व श्रेष्ठ माना  गया है  पितृ पछ में दिए
गए दान – पुन्य का फल दिवंगत 
पितर
 कि आत्मा कि तुष्टि  हेतु भेजा जाता है  
श्राध को अगर गंगा के संगम  पर किया जाये तो इस से  विशेष लाभ
मिलता है   गंगा का जल हिन्दुओ के सभी कार्यो में विशेष महत्त्व रखता है पितर
को जल  अर्पित करना श्राध की विशेष पूजा विधि है अगर इस तर्पण को गंगा के तट पर किया जाता है तो इसका विशेष आशीर्वाद पितरों
 की और से मिलता है
इसलिए गंगा के तट पर ही सभी कार्य किये जाते है
मान्यता है की ये समय पितरों कि पूजा और श्रधा को मानाने का है जिस का फल पितरों के आशीर्वाद के रूप में जीवन में मिलता

है.

Krishna Rawat Dobhal

Awarded by Bjp mahila morcha on international women's day for the field of Journalism, Nari shakti samman by Mahila Ayog(2023),Gauradevi saman 2014,Journalist by profession, photography my passion Documentaries maker ,9 years experience in web media ,had internship with leading newspaper and national news channels, love my work BA(Hons) Mass Communication and Journalism from HNBGU Sringar Garhwal , MA Massa Communication and Journalism from OIMT Rishikesh

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